Ranchi: पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) को हजारीबाग जिला मुख्यालय (Hazaribagh District Headquarters) से 10 किलोमीटर दूर बहोरनपुर पहाड़ी के पास लगभग 1400 वर्ष पुरानी नगरीय सभ्यता की गवाही देने वाले कई प्रमाण मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में यहां पिछले डेढ़ साल से यहां अलग-अलग चरणों में खुदाई करवाई जा रही है। पिछले कुछ दिनों से चल रही तीसरे चरण की खुदाई के दौरान ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जिनके आधार पर पुरातत्वविदों का कहना है कि यहां के लोग लोहा गलाकर तरह-तरह के सामान बनाने में दक्ष थे।
लोहे के हुक, कांटी, तीर के नोंक, गले में पहनी जाने वाली मनिका सहित कई सामान खुदाई में निकले हैं। यहां मिट्टी की चहारदीवारी के सबूत भी मिले हैं। इसके अलावा लकड़ी का कोयला भी जमीन के अंदर दबा पाया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि लोहा गलाने के लिए कोयले का उपयोग किया जाता था। हांडी और भोजन परोसने के काम में उपयोग लाया जाने वाला भगोना भी खुदाई में मिला है। इतिहासविद् डॉ हर्षवर्धन इन साक्ष्यों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हैं।
बता दें कि बहोरनपुर में पुरातत्व विभाग की ओर से पिछले साल की गई पहले और दूसरे चरण की खुदाई में बौद्ध धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। पहले चरण में बौद्ध मंदिर व बौद्ध धर्म से जुड़ी कई मूर्तियां मिली थीं। इनमे भगवान अवलोकितेश्वर, ध्यानी बुद्ध और देवी तारा की मूर्तिया प्रमुख हैं। बौद्ध मंदिर का निर्माण पक्के और अलंकृत ईंट से बना हुआ है। मंदिर के तीन कक्ष मिले हैं। दूसरे चरण की खुदाई के दौरान बौद्ध मंदिर के अलावा बौद्ध विहार के सबूत मिले हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा था कि 1200 वर्ष पहले बहोरनपुर बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल था। खुदाई में मिली मूर्तियों को पटना में संरक्षित करके रखा गया है।
यहां चल रही खुदाई के साइट इंचार्ज दिनेश कुमार का कहना है कि खुदाई में जो वस्तुएं निकली हैं, उनकी कार्बन डेटिंग और पुरातात्विक शोध के बाद कई नए तथ्य सामने आने की उम्मीद है। इतना जरूर है कि अब तक मिले साक्ष्यों के आधार पर यह तय है कि यहां सैकड़ों साल पहले से आबादी वाली बस्ती रही है।