देवघर: कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण से जूझ चुके लाखों लोगों ने बाबा भोलेनाथ से प्राणों की रक्षा करने की प्रार्थना की होगी और ठीक हो जाने पर सावन में उनका जलाभिषेक करने की मन्नत भी मांगी होगी लेकिन सरकार से अनुमति नहीं मिलने के कारण कांवरिया पथ पर इस बार भी बोल बम के जयकार नहीं गूजेंगे।
श्रावण मास में बाबा बैद्यनाथ का दरबार सरकार द्वारा आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोलने के विरोध में गोड्डा लोकसभा के सांसद डॉ. निशिकांत दुबे एक दिवसीय उपवास पर हैं। डॉ. दुबे का कहना है कि इस मेले से जुड़े हजारों परिवारों को भूखे मारने की साजिश झारखंड सरकार रच रही है।
झारखंड सरकार द्वारा विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला आयोजित नहीं करने के निर्णय के विरोध में उपवास कर रहे सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने कहा कि देश के अन्य तीर्थस्थलों को कोविड के मद्देनजर गाइडलाइन्स का पालन करते हुए जैसे खोला गया है, वैसे ही सीमित संख्या या टाइम स्लॉट या अन्य कोई विकल्प निर्धारित हो, उसे अपनाते हुए भक्तों के लिये बाबा का दरबार खोला जाए। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो भक्तों का RT-PCR नेगेटिव रिपोर्ट मांग कर या जिन्होंने वैक्सीन ले ली है उन्हें बाबा मंदिर आने की इजाजत दी जा सकती है।
500 या 1000 की संख्या में भक्तों को सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर के बाबा का जलाभिषेक करने की परमिशन सरकार को देनी चाहिए। लेकिन, झारखंड सरकार बैद्यनाथ और बासुकीनाथ मंदिर को बंद कर दोनों मंदिरों पर आश्रित लोगों को भूखे मार देना चाहती है।
सांसद ने कहा कि दोनों मंदिर पर आश्रित रिक्शा वाला, ऑटो वाला, धागा-बत्ती वाले, पेड़ा, होटल, फूल-पत्ती वाले और न जाने कितने अनगिनत छोटे-बड़े व्यवसाई व तीर्थ पुरोहित जिनके घर का चूल्हा मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की वजह से ही जल पाता है। उनके तमाम आय पिछले डेढ़ साल से बंद है, उनके बारे में सरकार बिल्कुल नहीं सोच रही। उन्होंने कहा कि देवघर और बासुकीनाथ की पूरी अर्थव्यवस्था ही दोनों मंदिरों पर निर्भर है। अगर मंदिर नहीं खुलता है तो पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। न जाने कितने लोग भूखे मर जायेंगे। जिसके बारे में जरा ख्याल भी झारखंड की हेमन्त सरकार को नहीं है।
इतना ही नहीं सांसद ने एक गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार से पूछा है कि श्रद्धालुओं को आने की व्यवस्था की जगह उन्हें रोकने में जो व्यवस्था सरकार कर रही है, जिसके लिए 1000 अतिरिक्त पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की जा रही है। उनमें से RTPCR नेगेटिव रिपोर्ट कितनों के पास है। जब इन्हें बाहर से बुलाया जा सकता है तो भक्तों को क्यों नहीं?