जसीडीह (देवघर): जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र के चरकी पहाड़ी गांव में उस वक़्त पूरा गांव रो पड़ा जब मां-बेटे की अर्थी एक साथ उठी। माँ सुगिया देवी की मौत के 24 घंटे के अंदर बेटे किशन चौधरी ने भी अपनी ईहलीला समाप्त कर ली।
एक माह पहले ही परिवार के मुखिया किशन के पिता की मौत हुई थी। मां करीब तीन साल से लकवा से ग्रस्त थी। सुगिया देवी की मौत शुक्रवार सुबह 11.30 बजे होे गयी थी। लेकिन अंतिम संस्कार नहीं हो सका था। माँ के वृद्धा पेंशन से परिवार चलता था। जो अनाज मिलता था वह परिवार के निवाले के लिए उपयुक्त नहीं था। बेटा किशन को लॉकडाउन में कोई काम भी नहीं कर पा रहा था। जब मां की मौत हुई तब किशन बहुत परेशान थे। माँ के अंतिम संस्कार , क्रिया-कर्म और भोज-भात के लिए पैसे कहां से आयेंगे, इसकी चिंता उसे सता रही थी। दिन भर तो किशन परेशान रहा, लेकिन रात हुई तो घर में भूचाल आ गया।
किशन की पत्नी ने बताया कि शुक्रवार रात भर हमलोग जगे रहे। तड़के तीन बजे किशन सोने चले गये। अंदर से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। शनिवार सुबह देर तक नहीं उठे तो खिड़की से अंदर घुसकर देखा। किशन खपरैल घर में छत की लकड़ी से साड़ी के फंदे के सहारे लटका हुआ था। आनन-फानन में लोग पहुंचे और किशन को फंदे से उतारा। पर तब तक उसकी मौत हो गयी थी।
सुगिया देवी को कुल सात पुत्र थे। छह पूत्र अन्य शहरों में मजदूरी कर अपना परिवार पालता है। सातवां सबसे छोटा किशन घर पर ही मां पर पूरी तरह आश्रित था। परिवार की माली हालत यह थी कि मृतक मां बेटों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं थे। बाद में सगे संबंधियों के जुटने के बाद उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा सकी।
किशन की मौत के बाद जसीडीह पुलिस किशन के घर पहुंचे। मामले की जांच की गयी। मां और बेटे के शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद दानों के शवों को परिजन ले गये। घर से एक साथ दो अर्थी उठी। नम आँखों से माँ-बेटों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। 24 घंटे में मां-बेटे की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है।