रांची: झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. झारखंड हाईकोर्ट ने छठीं जेपीएससी मामले में फैसला सुनाया है. छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी गयी है. इससे 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध घोषित हो गयी है. मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए कोर्ट ने आठ सप्ताह में फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश दिया है.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट रद्द करते हुए 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया. अदालत ने 8 सप्ताह में फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश दिया है. इसके साथ ही जेपीएससी के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को 4 श्रेणियों में विभाजित किया था. 3 श्रेणी की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. चौथी श्रेणी की याचिका को हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है.
बता दें कि सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने फरवरी महीने में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट के द्वारा जारी कॉज़ लिस्ट में इस मामले को सूचीबद्ध किया गया है.
हाईकोर्ट के इस फैसले पर झारखंड समेत अन्य प्रदेशों के हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य टिका हुआ है. परीक्षा देने वाले लाखों अभ्यर्थी हाईकोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.
आपको बता दें कि 16 विभिन्न याचिकाओं पर अदालत द्वारा तीन फरवरी से लगातार सुनवाई की जा रही थी. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा था. उन्होंने प्रार्थियों की दलील का विरोध करते हुए अदालत को बताया था कि जेपीएससी ने विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप छठी सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था. इस रिजल्ट के आधार पर 326 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया. रिजल्ट प्रकाशित करने के बाद नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा भेजी गयी.
वहीं सुनवाई के दौरान प्रार्थियों का कहना था कि छठी जेपीएससी के रिजल्ट में काफी गड़बड़ियां हैं. क्वालिफाइंग पेपर का अंक जोड़कर जेपीएससी ने फाइनल रिजल्ट जारी किया, जो गलत है. इसके अलावा रिजल्ट तैयार करने में और कई गड़बड़ी की गयी है. इस मामले में अदालत ने सफल अभ्यर्थियों को भी प्रतिवादी बनाया था.