नई दिल्ली: कोरोना महामारी की मार से भारतीय पहले से ही जूझ रहे हैं, इस बीच एक और बीमारी ने दस्तक देकर मुसीबतें बढ़ा दी है। कोरोना महामारी के दौरान सामने आया ब्लैक फंगस अब केंद्र के लिए बड़ी चिंता बन गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को खत लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है। साथ ही सभी राज्यों सरकारों से इसे महामारी एक्ट के तहत नोटेबल डिजीज घोषित करने को कहा है। यानी राज्यों को ब्लैक फंगस के केस, मौतों, इलाज और दवाओं का हिसाब रखना होगा।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत देशभर के कई राज्यों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) कहर बनकर टूट रहा है। इन राज्यों में ब्लैक फंगस के केस काफी तेजी से बढ़ रहे है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित करने की अपील की है। साथ ही इससे निपटने के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में सभी सुविधाएं मजबूत करने को कहा है।
राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ही महामारी घोषित कर चुके हैं। दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं।
ब्लैक फंगस पर केंद्र के 5 पॉइंट्स
- स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने राज्यों से कहा- ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोविड पेशेंट्स की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे सामने यह एक नई चुनौती है।
- कई राज्यों के कोरोना मरीजों में म्यूकर माइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन सामने आया है। ये खास तौर से उन मरीजों में दिखाई दे रहा है, जिन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई है और जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है।
- इस बीमारी का इलाज कई मोर्चों पर करना होता है। इसमें आई सर्जन, ENT स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, न्यूरोसर्जन और डेंटल मैक्सीलो सर्जन भी शामिल हैं। इसके इलाज में एम्फ्टोथेरेसिन-B इंजेक्शन को इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि एक एंटीफंगल मेडिसिन है।
- आप ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट 1897 के तहत नोटेबल डिजीज घोषित कीजिए। इसके तहत सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लैक फंगस की निगरानी, पहचान, इलाज और इसके मैनेजमेंट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाए।
- ब्लैक फंगस के सभी मामलों की रिपोर्ट जिला स्तर के चीफ मेडिकल ऑफिसर को की जाए। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम सर्विलांस सिस्टम में भी इसकी जानकारी दी जाए।
7 राज्यों में ब्लैक फंगस पर अलर्ट
- राजस्थान: 400 लोग ब्लैक फंगस की वजह से आंखों की रोशनी खो चुके हैं। जयपुर में 148 लोग इससे संक्रमित। जोधपुर में 100 मामले सामने आए। 30 केस बीकानेर और बाकी अजमेर, कोटा और उदयपुर में हैं। सरकार ने महामारी घोषित किया। ब्लैक फंगस के केस, मौतों और दवा का हिसाब रखना होगा।
- मध्यप्रदेश: भोपाल में बीते 27 दिन में ब्लैक फंगस के 239 मरीज आ चुके हैं। 10 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 174 अस्पतालों में हैं। इनमें 129 की सर्जरी हो चुकी है। सरकार भोपाल में सिर्फ 68 मरीज ही बता रही है। पूरे राज्य में 585 मरीज बताए जा रहे हैं। अभी तक बीमारी को महामारी घोषित नहीं किया गया है।
- दिल्ली: दिल्ली में ब्लैक फंगस के मरीज 300 के पार हो चुके हैं। इंजेक्शन की कमी होने के चलते ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं। एम्स में एक सप्ताह में 80 मरीज भर्ती हुए हैं। 30 की हालत गंभीर है।
- हरियाणा: पूरे प्रदेश में ब्लैक फंगस के 177 मरीज हैं। इस संक्रमण को महामारी घोषित करने वाला हरियाणा पहला राज्य था। राज्य का औषधि विभाग स्टेरॉयड की बिक्री पर भी रोक लगा चुका है।
- छत्तीसगढ़: प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 100 के करीब पहुंच चुकी है। अस्पतालों में 92 मरीजों का इलाज चल रहा है। सबसे ज्यादा 69 मरीज एम्स में भर्ती हैं। इनमें से 19 का ऑपरेशन हो चुका है। सरकार ने अभी तक इसे महामारी घोषित नहीं किया है।
- तेलंगाना: तेलंगाना सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट में नोटिफाई करने की जानकारी दी है। तेलांगना में ब्लैक फंगस के 80 मामले सामने आ चुके हैं।
- तमिलनाडु: राज्य में अब तक महज 9 केस सामने आए हैं, लेकिन दूसरे राज्यों की स्थिति को देखते हुए इसे महामारी एक्ट में नोटिफाई करने का फैसला लिया गया है।
जानलेवा है ब्लैक फंगस
दरअसल, यह फंगस इतना खतरनाक है कि इससे इंसान की आंखों की रोशनी तो खत्म हो ही सकती है, जान भी जान सकती है। पिछले साल दिसंबर में सबसे पहले दिल्ली में इसके केस सामने आए, फिर अहमदाबाद, राजस्थान, पंजाब समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में इसके मामले मिलते गए।
ब्लैक फंगस के क्या है लक्षण
शरीर में अगर इंफेक्शन हैं तो चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना, जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं। सबसे ज्यादा ये इंफेक्शन उन लोगों को होता है जो डायबिटिक, कैंसर और लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे हैं। एक शोध में इसका खुलासा हुआ कि अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है।
ब्लैक फंगस के साथ व्हाइट फंगस ने बढ़ाईं चिंता
ब्लैक फंगस के बीच व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आने लगे हैं। बिहार की राजधानी पटना में व्हाइट फंगस के 4 मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि यह ब्लैक फंगस से भी ज्यादा घातक है और फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण है। साथ ही, यह फंगस इंसान के त्वचा, नाखून, मुंह के अंदरूनी हिस्से, आमाशय, आंत, किडनी, गुप्तांग और दिमाग पर भी बेहद बुरा असर डालता है।
ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर फॉर्मा कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत मांगी है। आईएमए का कहना है कि देशभर में ब्लैक फंगस का इंफेक्शन जिस तरह पैर पसार रहा है, वह आने वाले समय के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।