Patna: बिहार में प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी कुछ इस कदर हावी है कि, उसकी एक छोटी सी बानगी देखकर ही पूरे सिस्टम से आपका विश्वास उठ जायेगा. वाकया सामने आया है बिहार के बांका जिले से.
दरअसल यह कहानी बिहार में होमगार्ड बहाली से जुड़ा है. होम गार्ड भर्ती के लिए जब आवेदन किया तो कई महिला अभ्यर्थी अविवाहित थीं, लेकिन अब जब उन्हें फिटनेस टेस्ट के लिए बुलाया गया, तो उनमें से कई दो से तीन बच्चों की माँ बन चुकी हैं. है न हैरंतगेज.
साहब.. बिहार और झारखंड में प्रशासनिक उपेक्षाओं की वजह से इसी तरह की अचंभित कहानियाँ भरी पड़ी है।
बांका जिले में करीब दस साल पहले होमगार्ड की बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई थी। उस समय तकरीबन दस हजार महिला अभ्यर्थियों ने बहाली के लिए आवेदन किया था। लेकिन दस साल तक बहाली लंबित रहने की वजह से बड़ी संख्या में आवेदक फिटनेस टेस्ट से बाहर हो गये।
बीते बुधवार को जब जिले के आरएमके मैदान में दौड़ हुई तो मात्र 162 महिलाएं शामिल हुईं। फिटनेस टेस्ट के लिए आई कई महिलाएं इन दस सालों में, दो से तीन बच्चों की माँ बन गई है। वहीं कुछ की तो ऐसी स्थिति में थी कि वे फिटनेस टेस्ट भी नही दे सकी।
आवेदकों का कहना कि जब उन्होंने आवेदन किया था तब वो, अविवाहित थी, लेकिन दस साल तक भर्ती की प्रक्रिया आगे बढ़ी ही नही । दस साल में अधिकांश महिला अभ्यर्थियों का विवाह हो गया। उनमें से ज्यादातर माँ बन चुकी हैं।
ये हाल तब है कि जब आवेदक जिला प्रशसन के खिलाफ कई बार धरना प्रदर्शन कर चुकी हैं। उसके बाद इस साल सितम्बर में बहाली की प्रक्रिया में गति आई। यह तो एक है बानगी सरकार के कामकाज की, न जाने कितने और ऐसे मामले आपके सामने होंगे। बस ज़रूरत है नज़र बनाए रखने की।