Dehradun: पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री हरीश रावत की नाराजगी हाईकमान से दूर हो गई है। हाईकमान के आशीर्वाद के बाद हरीश रावत जोश में दिल्ली से लौटे हैं। अब टिकटों के बंटवारे में उनके सर्वेसर्वा होने से कांग्रेस के अन्य गुटों में काफी चिंता है।
कांग्रेस मुख्यत तीन गुटों में बंटी है। कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें हरीश रावत किसी भी कीमत पर देखना नहीं चाहेंगे, इनमें प्रीतम गुट, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय गुट, स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के सहयोगी तथा हरीश रावत के घोर विरोधी पूर्व विधायक रंजीत सिंह रावत के समर्थक शामिल हैं। इन्हें शायद ही टिकट बंटवारे में वरीयता दी जाए। हरीश रावत के हाथ में टिकट बंटवारे का फार्मूला आने के बाद राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। अपने सहयोगियों को छोड़कर विरोधियों से चुन-चुन कर बदला ले सकते हैं।
इस संदर्भ में हरीश रावत के सहयोगी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि टिकट बंटवारे में सभी गुटों का ध्यान रखा जाएगा। उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा जो नेतृत्व के दिशा-निर्देशों को पूरा करते हैं।
मगर जानकार कहते हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर टिकटों को लेकर बड़ा अभियान छिड़ सकता है। इसका कारण यह होगा कि हरीश रावत अपने करीबियों को ज्यादा टिकट देंगे। इससे प्रीतम गुट, स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के सहयोगी तथा हरीश विरोधियों पर गाज गिर सकती है। यह टकराव का बड़ा कारण बन सकता है।