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Russo-Ukraine War के बीच एक प्रेम कहानी भारत में कुछ यू हुई समाप्त!

रुस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) में अपने परिवार के कई सदस्यों को खोने के बाद 50 वर्षीय यूक्रेनी नागरिक कोस्टियानटीन बेलियाएव ने हरिद्वार में सनातन धर्म ग्रहण कर 'कृपा बाबा' का नाम धारण किया था।

Varanasi(Uttar Pradesh): रुस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) में अपने परिवार के कई सदस्यों को खोने के बाद 50 वर्षीय यूक्रेनी नागरिक कोस्टियानटीन बेलियाएव ने हरिद्वार में सनातन धर्म ग्रहण कर ‘कृपा बाबा’ का नाम धारण किया था। बेलियाएव ने क्रिसमस की रात वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र के नारद घाट इलाके के एक गेस्ट हाउस में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसकी रूसी प्रेमिका उसी गेस्ट हाउस में रुकी थी, लेकिन उस दिन शहर से बाहर गई हुई थी।

खबर मिलने पर वह वापस आई और उसका अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई। दोनों भारत आने से पहले एक-दूसरे को सालों से जानते थे।

भेलूपुर के एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने कहा, हमने यूक्रेनी दूतावास को मामले की सूचना दी थी, तो रूसी महिला सामने आई और उसने बेलियाएव के शव का अंतिम संस्कार करने की इच्छा व्यक्त की। किसी भी विदेशी का अंतिम संस्कार करने के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार, हम यूक्रेनी दूतावास के फैसले का इंतजार कर रहे थे।

स्थानीय खुफिया इकाई के विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के अधिकारियों ने कहा, यूक्रेनी दूतावास ने बेलियाएव की मां से संपर्क किया, जिन्होंने दाह संस्कार करने की मंजूरी दी। इसके बाद, हमने अपने रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि यूक्रेन की एक लड़की याना चेरनेन्या काशी के संपूणार्नंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी और उससे संपर्क किया।

अपने दूतावास के निर्देश के अनुसार, चेरनेन्या और रुसी महिला ने 29 दिसंबर को बेलियाएव के शव का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने कहा, मैं बहुत आहत और उदास हूं। उन्होंने आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

उन्होंने स्थानीय पुजारियों के साथ मृत्यु के बाद के अनुष्ठान किए।

संपूणार्नंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ. लेखमणि त्रिपाठी ने कहा, बेलियाएव हरिद्वार के पायलट बाबा आश्रम से जुड़े हुए थे। जब उनकी रूसी मित्र ने हमसे संपर्क किया, तो हमने कुछ रीति-रिवाजों की सलाह दी, क्योंकि बेलियाएव पायलट बाबा आश्रम की ‘शिष्य परंपरा’ से ‘संन्यास’ ग्रहण करने के बाद आए थे। रूसी मित्र ‘गरुड़ पुराण’ का जप सुन रही है और स्थानीय पुजारियों की मदद से अन्य अनुष्ठान करने की भी कोशिश कर रही है।

जिस गेस्ट हाउस में वह रुकी थी, उसके संचालक ने कहा, जैसा कि हमारी परंपरा में मृत्यु के बाद के अनुष्ठानों में लोगों को भोजन कराया जाता है। मैंने उन्हें स्थानीय आश्रम में खाद्य सामाग्री दान करने की सलाह दी, जो घाट पर आने वालों के बीच खाद्य पदार्थ वितरित करता है।

बेलियाएव ने गेस्ट हाउस के मैनेजर को बताया था कि वह 25 दिसंबर को सासाराम (बिहार) के एक आश्रम में जाएगा।

हालांकि, 26 दिसंबर को काफी देर तक जब उसने दरवाजा नहीं खोला तो स्टाफ के कर्मचारियों ने दूसरी चाबी की मदद से कमरे में प्रवेश किया और पाया कि उसका शव छत से लटका हुआ है। उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा था।

नारद घाट और आस-पास के इलाकों के लोगों के अनुसार, वह उनसे अक्सर बातचीत करता था और रूस-यूक्रेन युद्ध में परिवार के कई सदस्यों को खोने के बाद उदास था। वे काशी में मृत्यु के बाद ‘मोक्ष’ की भी बात करता था। (IANS)

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