देवघर: देवघर एम्स के ओपीडी (Deoghar AIIMS OPD) का आखिरकार आज विधिवत उद्घाटन हो गया। कहा जाता है पॉलीटिशियन केवल सपने दिखाते हैं, धरातल पर उस सपने को साकार होने में जनता की कई पीढ़ियां दर पीढ़ियां गुजर जाती है। लेकिन यह पहले पॉलीटिशियन सांसद निशिकांत दुबे हैं जो सपने को साकार करने पर विश्वास करते हैं। इसीलिए हाल के दिनों में ही सांसद निशिकांत दुबे (MP Nishikant Dubey) को सबसे बेहतरीन सांसद के रूप में चयन किया गया था, जो अपने लोकसभा क्षेत्र में चाहे रेल हो चाहे स्वास्थ्य की सुविधा हो या ट्रांसपोर्ट की सुविधा हो लाने में अव्वल रहे हैं।
सांसद निशिकांत के जिद और जुनून ने 3 साल में ही झारखंड का सबसे पिछड़ा इलाका संथाल के देवघर में एम्स खड़ा ही नहीं किया, संथाल सहित बिहार बंगाल के सैकड़ों मरीज इलाज भी कराएंगे।
देवघर एम्स लाने और उसके भवन निर्माण होने से लेकर ओपीडी शुरू होने तक बाधाएं आई। सांसद निशिकांत दुबे संकट मोचन की तरह सभी बाधाओं को दूर करते हुए देवभूमि की धरती पर लोगों के सपने को साकार किया। यह किसी फिल्म की रील लाइफ नहीं रियल लाइफ है। 3 घंटे की फिल्म में सपने दिखाने के साथ सपने को धरातल पर लाकर फिल्म को द एंड कर दी जाती है। लेकिन यह फिल्म 3 साल की थी जो 3 साल में सपने दिखाए गए और उसे धरातल पर इंप्लीमेंट कर दिया गया। लेकिन देवघर में एम्स की शुरुआत इतना आसान नहीं था। इसके पिछे की मशक्कत यहां पढ़िए:
दरअसल, साल 2011 में पहली बार लोकसभा में देवघर में एम्स की स्थापना की मांग सांसद निशिकांत दुबे ने उठायी थी। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे ने कहा कि देवघर के देवीपुर में 200 एकड़ जमीन सरकार के पास है, यहां एम्स बनना चाहिए। 23 जुलाई 2014 को सदन में उन्होंने फिर से देवघर एम्स का मुद्दा उठाया। लेकिन, मोदी सरकार के पहले बजट 2014-15 और 2015-16 के बजट में जब झारखण्ड राज्य को एम्स नहीं मिला। तब डॉ. निशिकांत दुबे ने 16वीं लोकसभा के कमिटी ऑफ़ पेटिशन के समक्ष अपना आवेदन रखा। इस आवेदन के जरिये उन्होंने कमिटी को उन सारे तथ्यों से अवगत कराया जिससे झारखण्ड के देवघर में एम्स निर्माण के सारे शर्तों को पूरा होता प्रमाणित हो रहा था।
वस वक़्त देवघर एम्स निर्माण की सबसे बड़ी बाधा थी जमीन का उपलब्ध होना। इस बीच तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने झारखण्ड सरकार को पत्र भेजकर तीन स्थानों को चिन्हित करते हुए एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कह चुके थे। लेकिन तत्कालीन झारखण्ड की हेमंत सरकार ने देवघर में जमीन का जिक्र नहीं किया। तब, कमिटी ऑफ़ पेटिशन के सामने डॉ. निशिकांत दुबे ने देवघर में एम्स के लिए 200 एकड़ जमीन उपलब्ध होने की बात कही। साथ ही देवघर के एयर और रेल कनेक्टिविटी की सहूलियतों से कमिटी को अवगत कराया। इसके साथ ही देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल देवघर के धार्मिक महत्व और यहां सालों भर करोड़ों पर्यटकों के आने-जाने की बात भी कमिटी के सामने रखी।
उस वक़्त झारखण्ड के 14 एमपी ने भी देवघर में एम्स का विरोध किया था। जिसे साल 2016 के अगस्त माह में निशिकांत दुबे को कमिटी के सामने कहना पड़ा कि झारखंड से राज्यसभा को मिलाकर 20 एमपी में से 14 एमपी द्वारा देवघर को छोड़ राज्य में कहीं अन्य जगह पर एम्स के लिए जमीन देखने की मांग की गयी है। जिसपर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक ने झारखण्ड के स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को कहा कि देवघर में एम्स निर्माण के पहले प्रस्ताव पर आप सहमत हैं तो इसका पत्र तुरंत भेजें। ताकि देवघर एम्स निर्माण के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सके। तब सूबे की तत्कालीन रघुवर सरकार ने 19 अगस्त 2016 को देवघर में एम्स निर्माण पर अंतिम मुहर लगाते हुए प्रस्ताव को केंद्र को भेज दिया। इससे पहले 15 जनवरी 2015 को रघुवर दास ने देवघर में एम्स निर्माण के फाइल को मंजूरी दी थी। जिसपर केंद्र द्वारा कुछ चेकलिस्ट के आधार पर दस्तावेज मांगे गए थे। जो 19 अगस्त 2016 को भेजा गया।
इसके बाद मोदी सरकार 2017-18 के बजट में आख़िरकार देवघर को एम्स मिल ही गया। अब निशिकांत दुबे के प्रयासों का ही ये नतीजा है कि देवघर एम्स का ओपीडी आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस होकर आपकी सेवा के लिए खड़ा है।
तीसरी बार सांसद बनने के बाद निशिकांत दुबे ने जनता से जिन जिन चीजों का वादा किया उसे पूरा करने में सफलता हासिल की। देवघर सहित पूरे संथाल के जनता को जहां मंगलवार के दिन एम्स में ओपीडी सेवा की सौगात मिली है वही प्रबल संभावना है कि अगले महीने सितंबर में एयरपोर्ट भी चालू हो जाएगा।
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