Chandigarh: पहले दलित मुख्यमंत्री चमकौर साहिब के विधायक चरणजीत सिंह चन्नी के राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था। आज हालात यह हैं कि राजनीतिक घमासान में चन्नी ही पार्टी के लिए संजीवनी बनने जा रहे हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी रामदसिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। चरनजीत सिंह चन्नी ने मोहाली के खरड़ से ही अपना राजनीतिक जीव पार्षद के रूप से शुरू किया था। चरनजीत सिंह चन्नी मूलरूप से खरड़ के गांव बजौली के रहने वाले हैं। इस समय वह खरड़ शहर में रहते हैं। चरनजीत सिंह चन्नी के पिता हरसा सिंह का खरड़ में टेंट हाउस था। कॉलेज समय में चन्नी अपने पिता के टेंट हाउस में उनकी मदद करते थे। इसके बाद जब स्नातक किया।
खरड़ नगर परिषद से चन्नी ने पार्षद का चुनाव लड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। तत्कालीन मंत्री हरनेक सिंह घंडूआ ने किसी अन्य को नगर परिषद प्रधान बना दिया लेकिन पांच साल बाद चन्नी प्रधान बने। वह दो बार नगर परिषद के अध्यक्ष रहे। इसके बाद चन्नी ने चमकौर साहिब विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया और कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की। उस समय कांग्रेस ने इन्हें कमजोर कड़ी माना और टिकट नहीं दिया।
चन्नी ने संघर्ष नहीं छोड़ा और चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद अकाली दल में भी शामिल हुए। अगले चुनाव में फिर से पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेसी हो गए। वह इस सीट से तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री थे। इससे पहले वह 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। पंजाब विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट चरणजीत सिंह चन्नी 20 सितंबर 2021 को पंजाब के 16वें मुख्यमंत्री बने। एक सौ ग्यारह दिनों तक काम करने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के कार्यों पर हाईकमान ने मोहर लगाई और दूसरी बार उन्हें सीएम फेस घोषित कर दिया।