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परिवारवाद के खात्मे की तरफ बढ़ती भाजपा नेता पुत्रों की नई राहें

भारतीय जनता पार्टी रणनीति के तहत कांग्रेस को परिवारवाद के जरिए घेरती रही है और अब भाजपा खुद को इस परिवारवाद की आंच आने से बचाने की कोशिश में लगी है।

By: संदीप पौराणिक

Bhopal: भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) रणनीति के तहत कांग्रेस (Congress) को परिवारवाद के जरिए घेरती रही है और अब भाजपा खुद को इस परिवारवाद की आंच आने से बचाने की कोशिश में लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद के खिलाफ खुलकर अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के कई भाजपा नेता पुत्रों ने अब राजनीति के साथ दूसरे क्षेत्रों की राह पर कदमताल तेज कर दी है।

पिछले दिनों भाजपा की संसदीय समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद के खिलाफ अपनी राय जाहिर की थी और नेता पुत्रों के टिकट काटने की वजह खुद को बताया था, साथ ही साफ तौर पर कहा था कि, पारिवारिक राजनीति की इजाजत नहीं दी जा सकती।

प्रधानमंत्री की इस राय के बाद भाजपा के उन नेताओं की चिंताएं बढ़ गई हैं जो अपनी अगली पीढ़ी को राजनीति के मैदान में उतारना चाहते हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा की सियासत पर गौर करें तो करीब एक दर्जन से ज्यादा वर्तमान में ऐसे सक्षम नेता हैं जो अपनी अगली पीढ़ी को राजनीति में लाने की तैयारी में हैं और इन नेता पुत्र-पुत्री की सक्रियता अपने क्षेत्र में दिखती भी है तो वही चुनावों के दौरान कमान भी संभाले नजर आते हैं।

राज्य में सरसरी तौर पर नेता पुत्रों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ सामने आती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महान आर्यमन, नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह, राज्य सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक, कमल पटेल के पुत्र संदीप, नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण, गोविंद सिंह राजपूत के पुत्र आकाश, तुलसी सिलावट के पुत्र नीतीश तो वहीं भाजपा के पूर्व सांसद प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल राजनीति की दहलीज पर खड़े हैं। इनमें से कई नेता पुत्र तो संगठन में पद भी पहले पा चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं। इतना ही नहीं सक्रिय राजनीति से दूर कई पुराने नेताओं के परिवारों के सदस्य विधायक और मंत्री भी हैं।

परिवारवाद को लेकर नेताओं में अजीब सा सन्नाटा है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने परिवारवाद को खत्म करने की पैरवी करते कहा कि भाजपा ने देश में परिवारवाद को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। इस दिशा में हम आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं। भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में भाजपा अग्रसर है। वहीं अन्य नेताओं में बेचैनी है और अब तो उनकी राय भी सामने आ रही है।

शिवराज सरकार के मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा ने तो परिवारवाद की परिभाषा ही बता दी और कहा, परिवारवाद की परिभाषा को समझना होगा। परिवारवाद का अर्थ बहुत ही सिंपल है, जिसके परिवार से पिछले पांच-सात सालों से कोई राजनीति में सक्रिय न हो, उसने जमीन पर कोई काम नहीं किया हो।

इन नेता पुत्रों में कई ऐसे हैं जो सियासी तौर पर तो अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं तो वहीं उन्होंने दूसरी राहें तलाशना भी शुरू कर दिया है ताकि उनका जनता से संवाद और संपर्क बना रहे। सिंधिया राजघराने की चौथी पीढ़ी के तौर पर हैं महान आर्यमन सिंधिया। वे चुनाव के समय अपने पिता के क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं मगर उन्होंने अब सियासी मैदान की बजाए क्रिकेट के मैदान में कदम रखा है और ग्वालियर डिविजनल क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बन गए हैं।

इसी तरह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह भी चुनाव के समय सक्रिय रहते हैं मगर उन्होंने नई राहों पर भी काम करना शुरू कर दिया है। वे जहां भारतीय हॉकी फेडरेशन के उपाध्यक्ष हैं तो वहीं एक सामाजिक संस्था इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनामी से जुड़े हुए हैं और इस संस्था ने पिछले दिनों चैंपियन ऑफ चैलेंज मध्यप्रदेश पुरस्कार समारोह का आयोजन भी किया।

आइए अब बात करते हैं राज्य सरकार के मंत्रियों की। गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव संगठन के विभिन्न पदों पर रहे मगर उनका दायरा अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहता है। वह लगातार लोगों के संपर्क में रहते हैं और सामाजिक के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल जगत में तमाम गतिविधियां संचालित करते रहते हैं। कृषि मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल भी सियासत से ज्यादा हरदा जिले में खेल गतिविधियों पर अपना ध्यान देते हैं। उन्होंने पिछले दिनों कमल खेल महोत्सव भी आयोजित किया। पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा सियासत के साथ सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय नजर आते हैं। (IANS)

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