By: Girish Malviya
मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि कर अपना खजाना भरने में लगी है और आम आदमी की जेब खाली हो रही है, जिस दिन मंत्रिमंडल की घोषणा हुई उसी दिन दिल्ली में पेट्रोल 100 रु लीटर के पार पुहंच गए देश के कई शहरों में पेट्रोल के दाम 108 रु के पार पुहंच गए हैं।
मोदी सर साल दर साल पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाकर उसकी बेतहाशा मूल्यवृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर से कुल 4 लाख ,51 हजार 542.56 करोड़ रुपये कमाए यह एक रिकॉर्ड आँकड़ा है। अब एक आश्चर्यजनक तथ्य और जान लीजिए कि 20-21 में औसतन 44.82 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चा तेल खरीदा गया था, जो वर्ष 2004-05 के औसत खरीद मूल्य (39.21 डॉलर प्रति बैरल) के बाद सबसे सस्ती दर है।
यह वृद्धि तब हुई जब देश भर में महामारी के भीषण प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और अन्य बंदिशों के चलते परिवहन गतिविधियां लम्बे समय तक थमी थीं।
जबकि पिछले साल सरकार ने 2019-20 में कुल 2 लाख 88 हजार 313.72 करोड़ रुपये कमाए थे 2019-20 में ओसत खरीद मूल्य 60.47 डॉलर प्रति बैरल था……
अब एक बार UPA क्रूड के औसत खरीद मूल्य की तुलना आज मोदीजी के राज से कर लीजिए।
UPA के पांच सालों में क्रूड के डॉलर प्रति बैरल ओसत खरीद मूल्य की तालिका देखिए …
2009-10—69.76
2010-11—85.09
2011-12—111.89
2012-13—107.97
2013-14—105.52
अब मोदीराज के 7 सालो में क्रूड के डॉलर प्रति बैरल औसत खरीद मूल्य को देखिए …
2014-15—84.16
2015-16—46.17
2016-17—47.56
2017-18—56.43
2018-19—69.88
2019-20—60.47
2020-21—44.82
यानी साफ है कि UPA के पिछले पांच सालों की तुलना में मोदी राज में सात सालों में क्रूड बेहद कम दामो पर उपलब्ध हुआ। उसके बावजूद भी इसका फायदा जनता को नही दिया गया।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)