नई दिल्लीः भारत की अंतरक्षि शक्ति के लिए एक ऐतिहासिक दिन, 26 मई 1999 को भारत के अंतरक्षि रिसर्च संस्थान इसरो ने भारत, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका के तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरक्षि की कक्षा में स्थापित किया। सर्फि दो ताकतवर देशों अमेरिका और रूस के दबदबे वाले क्षेत्र में यह भारत की कॉमर्शियल लॉन्चिंग की शुरुआत थी, जो पीएसएलवी-सी2 के जरिये की गयी थी। पीएसएलवी सी2 के जरिये जर्मनी और साउथ कोरिया के एक-एक सैटेलाइट्स अंतरक्षि की कक्षा में छोड़े गए।
साल-दर-साल इसरो की क्षमता ऐसी बढ़ी कि एक दशक यानी 2010 में इसरो ने 20 विदेशी उपग्रहों को अंतरक्षि की कक्षा में स्थापित किया। उसके बाद से 2019 तक लगभग 297 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए। इनमें अमेरिका, जापान, इजराइल, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, कोरिया, यूके, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया सहित 33 देश शामिल हैं। इसरो की लगातार बढ़ी क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब वह हर साल औसतन 50 विदेशी उपग्रह छोड़ सकता है। इसरो ने 2016-2018 तक कॉमर्शियल लॉन्चिंग से 6 हजार, 289 करोड़ रुपये कमाए। दरअसल, भारत ने दुनिया के सामने कम लागत में बड़े-से-बड़े प्रक्षेपण कर इस क्षेत्र में अपनी महारत का लोहा मनवाया है।
मोदी बने देश के प्रधानमंत्री:
आज ही के दिन 2014 में नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वे गैर कांग्रेसी सरकारों के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जो पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लगातार दूसरी बार इस पद पर कायम हैं। मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) भी एक उदाहरण है, जिसमें सबसे बड़े दल भाजपा के अकेले बहुमत में होते हुए भी अन्य पार्टियों को सरकार में शामिल किया गया है।