मधुपुर
मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी हफीजुल हसन अंसारी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को 5292 मतों से पराजित कर विजय हासिल किया है। मधुपुर उपचुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी टक्कर हुई । इस चुनाव में अन्य प्रत्याशी मूक दर्शक बनकर रह गए । वर्षों बाद इस बार जेएमएम, कांग्रेस और राजद का मजबूत गठबंधन दिखा।
यूं तो गत चुनाव में भी महागठबंधन हुआ था लेकिन जेएमएम, कांग्रेस और राजद की गांठ कमजोर थी। लेकिन इस उपचुनाव को लेकर गठबंधन वास्तविक और मजबूत साबित हुआ । महागठबंधन के नेता और कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर जनता को यह बताते रहे कि यदि महागठबंधन का प्रत्याशी हफीजुल हसन को विधायक चुनते हैं तो वह सूबे के मंत्री के रूप में मधुपुर के विकास के लिए हर कोशिश करेंगे। मधुपुर को जिला बनाने की मांग भी पूरी हो सकती है जबकि दूसरे लोग विपक्ष के विधायक बनकर रह जाएंगे।
1995, 2000, 2009 और 2019 में मधुपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर 4 बार मंत्री रह चुके जेएमएम के वरिष्ठ नेता हाजी हुसैन अंसारी का मधुपुर में मजबूत जनाधार रहा है। मुस्लिम और आदिवासी वोट के साथ विभिन्न समुदाय से उनका गहरा जुड़ाव था। झारखंड में जेएमएम से अल्पसंख्यकों को जोड़ने में हाजी हुसैन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके साथ साये के तरह रहने वाले उनके बड़े बेटे हफीजुल हसन अंसारी बूथ मैनेजमेंट, जनसमस्या समाधान, सांगठनिक मजबूती से लेकर रैलियों के आयोजन का दायित्व निभाते रहे हैं। मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के असामयिक निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हफीजुल हसन को कैबिनेट मंत्री बनाकर एनडीए के खेमे में खलबली मचा दिया था।
एनडीए चुनावी वैतरणी पार करने के लिए पूर्व मंत्री राज पलिवार को दरकिनार कर आजसू के गंगा नारायण राय को भाजपा में शामिल कराकर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती थी। पूर्व मंत्री राज परिवार को पार्टी से दरकिनार किए जाने से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता नाराज हो गए । भारतीय जनता पार्टी के सैकड़ों सक्रिय कार्यकर्ता अंदरखाने टूटकर हफीजुल हसन से जुड़ गया थे। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, सांसद निशिकांत दुबे, सांसद सुनील सोरेन, सांसद अन्नपूर्णा देवी, विधायक रणधीर सिंह, नारायण दास, अमर बाउरी, नवीन जयसवाल,भानु प्रताप शाही, नीरा देवी सहित कई नेता भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को चुनाव जिताने के लिए दिन रात मेहनत किए लेकिन महागठबंधन के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता के आगे सफल नहीं हो पाए ।