ललमटिया खान दुर्घटना के बीत गए चार वर्ष
जिस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करनी थी उसे ही मिल गया करोड़ों का काम
कई आरोपी पदाधिकारी को भी मिल गई प्रोन्नति
विधायक दीपिका पाण्डेय सिंह बोली- ललमटिया खान दुर्घटना में दोषियों को सजा के लिए लड़ाई जारी रहेगी
गोड्डा।
ECL के राजमहल परियोजना ललमटिया में खान दुर्घटना के हुए चार साल बीत गए, लेकिन आज तक न कोई आरोपी जेल गया न ही किसी की गिरफ्तारी हुई। इतना ही नहीं कई आरोपी पदाधिकारी को तो प्रोन्न्ति तक मिल गई।
दोषी कंपनी जिसे काली सूची (Black List) में डालने की बात घटना के समय की जा रही थी, उसे भी करोड़ों का ठेका देकर उपकृत कर दिया गया। हां.. अगर कोई परेशान है तो वह है लापता कामगार के परिजन।
वे दोषियों को सजा दिलाने के लिए परेशान रहते तो कोई बात होती? पर वे तो अपने लापता परिजन के मुआवजे के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते- लगाते थक गए हैं। लड़ने की शक्ति उनकी लगभग खत्म हो गई है।
कब घटी थी घटना
29 दिसंबर 2016 की रात करीब 8 बजे पहाड़िया भोड़ाय टाेला साइट पर एका- एक भू-धंसान से काम कर रहे महालक्ष्मी कंपनी के 23 कामगार दब कर मर गए थे। इसमें से 18 की लाश तो मिली थी पर 5 कामगार लापता थे। लापता कामगार में लल्लु खान मध्यप्रदेश, भीम राम भमुआ बिहार, गगन सिंह भागलपुर बिहार, परवेज आलम रामगढ़ झारखंड और मधु श्याम पटेल गुजरात के कामगार शामिल थे। भू-धंसान में मिट्टी तथा कोयला निकालने वाली बड़ी- बड़ी मशीनें भी जमीनदोंज हो गई थी। बाद मे मिट्टी हटाने के दौरान कुछ नर कंकाल भी मिले थे, पर वह नर कंकाल किसका था? इसका सही पता नहीं लगाया जा सका। जिसके कारण लापता कामगार के परिजनों को मुआवजे की राशि भी नहीं मिल पाई।
ललमटिया खान दुर्घटना ओपेन कास्ट माइनगिंग में एशिया की सबसे बड़ी घटना बताई गई थी। तात्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा तथा डीजीपी से लेकर कोल इंडिया के बड़े- बड़े पदाधिकारी का भी ललमटिया दौरा हुआ था। मृतक के परिजनों को आस जगी थी कि दोषियों को सजा जरूर मिलेगी, पर आज तक यह मामला कोर्ट ऑफ इनक्वायरी में फंसा हुआ है।
सीबीआई जांच के लिए दायर हुआ था जनहित याचिका
ललमटिया खान दुर्घटना की सीबीआई जांच को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में मो. सरफराज तथा नूर हसन ने जनहित याचिका भी दायर किया था। जस्टिस पी के मोहंती तथा आनंदा सेन की अदालत में सुनवाई भी हुई पर अभी तक सीबीआई जांच का आदेश न्यायालय से नहीं मिल पाया है। चार साल के अंदर मामले की कोर्ट ऑफ इनक्वायरी बैठी है, पर अभी भी कोई परिणाम सामने नहीं आया है।
दोषियों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई जारी रहेगी
ललमटिया खान दुर्घटना के समय कांग्रेस नेता दीपिका पाण्डेय सिंह विधायक नहीं बनी थी। फिर भी कामगारों के हक तथा मामले की सीबीआइ जांच को लेकर धरना प्रदर्शन और जाेरदार आंदोलन किया था। वर्तमान में ललमटिया इलाके के महागामा से विधायक बनी दीपिका पाण्डेय सिंह कहती हैं कि ललमटिया खान दुर्घटना मेरी राजनीतिक केरियर का बड़ा चैलेंजिंग हिस्सा है। दोषियों को सजा मिले इसके लिए लड़ाई जारी रहेगी। 2020 में तो कोरोना के कारण न्यायालय का कार्य भी बाधित रहा। सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल तक दोषियों को सजा दिलाकर दम लुंगी।