रांची।
लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर हेमंत सरकार द्वारा रविवार की रात आदेश जारी किये गये। सूबे की सरकार ने तालाब, झील या किसी जलाशय के किनारे सामूहिक रूप से छठ मनाने की अनुमति नहीं दी है। अब सामूहिक तौर पर छठ मनाने पर रोक के सरकारी आदेश का सामाजिक और राजनीतिक तौर पर विरोध शुरू हो गया है।
राजनीतिक तौर पर अगर देखा जाए तो भाजपा ने इस आदेश का विरोध करना शुरू कर दिया है। बीजेपी के नेताओं द्वारा कहा जा रहा कि हिंदू आस्था पर कुठाराघात हेमंत सरकार कर रही है। आदेश वापस लेने की मांग बीजेपी ने हेमंत सरकार से की है। वहीं, विपक्ष के साथ साथ सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है।
बीजेपी के अलावा सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदेश के विरोध में ज्ञापन सौंपा है। झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन सौंपा है।
सत्ताधारी दल, सहयोगी पार्टी व विपक्ष के अलावा राज्य की जनता भी सरकार के इस आदेश का विरोध कर रही है। आदेश जारी होते ही सोशल मीडिया पर हेमन्त सरकार के इस फैसले का विरोध तो शुरू हो ही रहा है, लोग सवाल भी उठा रहे हैं। राजनीति से इतर लोग इतना जरूर जानना चाह रहे हैं कि जब चुनाव कार्यक्रमों के लिए भीड़ को एकत्रित करने की आजादी दी जा सकती है तो फिर छठ के लिए क्यों नहीं? सोशल मीडिया पर लोग इस बारे में खुल कर लिख रहे हैं। लोग सरकार से इस फैसले को बदलने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।
गौरतलब है कि पहले रविवार की देर रात आपदा प्रबंधन विभाग ने छठ पर्व के लिए गाइडलाइन जारी किए हैं। इसके तहत नदी घाटों और तालाब के इर्द-गिर्द भीड़ लगाने पर पाबंदी लगाई गई है।