रांची।
झारखंड सरकार मजदूरों को एयर लिफ्ट कराकर रांची वापस ला रही है। लगातार दूसरे दिन झारखण्ड में फ्लाइट के ज़रिये मजदूरों को वापस लाया गया. शनिवार शाम विशेष विमान से 180 झारखंडी श्रमिक रांची पहुंचे. ये श्रमिक अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अलग-अलग हिस्से में लॉकडाउन के दरम्यान फंसे थे.
झारखंड सरकार ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अलग-अलग हिस्से में फँसे झारखंड के 180 मजदूरों को एयरलिफ़्ट कराया है. पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा से शनिवार को दोपहर तीन बजे के बाद इन मजदूरों को लेकर उड़ा विशेष विमान शाम 6.30 बजे राँची पहुँचा. रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डा पर सभी श्रमिकों की दोबारा स्क्रीनिंग के बाद उन्हें बसों से उनके घर तक रवाना किया गया.
अंडमान निकोबार के कठिनतम स्थानों पर फंसे झारखंड के प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले 48 घंटों से ऑपरेशन अंडमान की कमान संभाल रखी थी. इस अभियान में ग्रामीण विकास विभाग, परिवहन विभाग और श्रम विभाग के कंट्रोल रूम का समन्वय रहा. हेमंत सरकार ने श्रमिकों को एयरलिफ्ट कराने की इस प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन और पोर्ट ब्लेयर पुलिस के सहयोग की भी सराहना की.
इंडिगो एयरलाइंस के इस विशेष विमान का पूरा ख़र्च झारखंड सरकार ने वहन किया. चार्टर विमान की उड़ान की लागत तकरीबन 21 लाख रुपये आयी, जिसका वाहन झारखंड सरकार ने खुद किया है।
इस मौक़े पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि हम दूसरे राज्यों में फंसे सभी मजदूरों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं.
बता दें कि झारखण्ड सरकार ने शुक्रवार को लेह में फँसे झारखंड के 60 मजदूरों को एयरलिफ़्ट करा वापस लाया था. इससे ठीक पहले गुरुवार को मुंबई में फँसे 174 लोगों को विशेष विमान से राँची लाया गया था. हालाँकि, उस विमान का ख़र्च नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के पूर्ववर्ती छात्रों ने वहन किया था.
इस तरह अबतक झारखंड के कुल 414 प्रवासी श्रमिकों की हवाई जहाज़ से घर वापसी करायी गई है. झारखंड वैसा पहला राज्य बन गया है, जहाँ मजदूर एयरलिफ़्ट कराए जा रहे हैं.
हेमंत सोरेन ने श्रमिकों को एयरलिफ्ट कराने की इस प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन की सराहना की है।