बरही/ झारखंड
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के चौड़ीकरण में लगभग 6000 पेड़ काट दिए गए। इन पेड़ों को काटे जाने के बाद पर्यावरण को व्यापक नुकसान पहुँचा है। महाराष्ट्र के आरे जंगल बचाओ अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता संजय मेहता ने इस बाबत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को एक पत्र लिखा था। पत्र पर कार्रवाई करते हुए भारत सरकार के अवर सचिव अभिजीत राय ने झारखंड के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के उपसचिव को पत्र लिखकर इस संदर्भ में कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही कहा है कि जल्दी आवेदक को इस विषय पर सही सूचना देकर अवगत कराएं।
संजय मेहता ने क्या लिखा था पत्र में
झारखंड के हज़ारीबाग,कोडरमा जिले अंतर्गत एनएच 31 सड़क है. राष्ट्रीय उच्च पथ के एनएच 31 के इस भाग का चौड़ीकरण किया जा रहा है. यह चौड़ीकरण झारखंड के हजारीबाग जिले के बरही से बिहार राज्य के रजौली तक किया जा रहा है. झारखंड राज्य में इसकी कुल लंबाई बरही से कोडरमा तक 27.665 किमी है. परियोजना का यह हिस्सा 273 करोड़ की है. बरही से रजौली तक इस परियोजना की कुल लंबाई 47.6 किमी है. योजना की कुल लागत 518 करोड़ है. इस परियोजना के तहत बरही से कोडरमा तक कि दूरी 27.665 किमी क्षेत्र में कार्य शुरू हो चुका है. परियोजना के लिए पेड़ों को काट दिया जा रहा है. लगभग 12 हज़ार पेड़ प्रभावित हो रहे हैं. जिनमें 5491 से अधिक पेड़ों को काटा जाना है. दिनांक 09 नवंबर 2019 तक 4268 पेडों को काट दिया गया है. पेड़ों की बड़ी संख्या को सीधे काट देना पर्यावरण को व्यापक नुकसान पहुंचाएगा. मेरा अनुरोध है कि इस परियोजना में पेड़ों की कटाई को तुरंत बंद किया जाए. यहाँ की स्थानीय जनता इस पर आंदोलित हो सकती है. झारखंड के लिए जल,जंगल,जमीन हमेशा से संवेदनशील विषय रहे हैं.
मुख्य बिंदु:
बरही से कोडरमा के फोरलेन निर्माण में 5491 से ज्यादा पेड़ काटे जाने की बात कही गयी है. झारखंड के हजारीबाग वन प्रमंडल के तहत बरही क्षेत्र में 12.362 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण परियोजना के लिए किया गया है. झारखंड के कोडरमा क्षेत्र में 3.782 हेक्टेयर वन भूमि अधिग्रहित की गई है. झारखंड, हजारीबाग के बरही जवाहर घाटी स्थित पहाड़ी क्षेत्र को काफी क्षति पहुंच रही है. सड़क चौड़ीकरण में हजारीबाग क्षेत्र के करीब 6352 पेड़ प्रभावित हो रहे हैं. हजारीबाग वन प्रक्षेत्र में 1910 काटे जाने हैं. 4442 ट्रांसप्लांट करने की बात है. झारखंड के कोडरमा क्षेत्र में 5340 प्रभावित हो रहे हैं. इस प्रक्षेत्र में 3581 पेड़ काटे जाएंगे. 1723 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की बात कही गयी है.
वन विभाग का दावा है कि 60 हेक्टेयर में पौधे लगाये जाएंगे और आठ बडे चेक डैम बनाया जाएगा. जिससे कटने वाले पेड़ से होने वाली क्षति के प्रभाव को कम किया जाएगा.राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान पूरे राज्य में पिछले तीन वर्षो में 62000 से ज्यादा पेड़ काटे गये हैं. 20990 पेड के ट्रासप्लांट करने का दावा विभाग का है. यह गलत और झूठा दावा है. वर्ष 2015 में झारखंड हाईकोट ने स्वयं संज्ञान लिया था जिसके बाद दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों को बचाने के लिए आदेश पारित हुआ था. लेकिन फिर भी कुछ नहीं हो सका.
इसी बीच एक बार फिर फोरलेन निर्माण में पेड़ो की कटाई और ट्रांसप्लांट जैसे-तैसे शुरू कर दिया गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.झारखंड के वन विभाग की पावर कमिटि ने मई 2019 को कोर्ट में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी. अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि एनएच के निर्माण कार्य के दौरान 62187 पेड़ काटे गये हैं. विभाग का यह भी दावा है कि 20990 पेड़ ट्रांसप्लांट किये गये साथ ही क्षतिपूर्ती के रूप में 2,84,960 पौधे लगाये गये है. यह जमीन पर दिखाई नहीं देता. विभाग का कहना है कि यह कार्य 31 अगस्त 2016 से 8 मई 2019 के बीच किया गया है. जमीनी स्तर पर यह बात झूठी दिखाई पड़ती है. उन्होंने पत्र में इस विषय पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया था।
क्या कहते हैं संजय मेहता
संजय मेहता ने कहा कि हजारीबाग एवं कोडरमा जिले में एनएच चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। बार बार पेड़ों को काट दिया जा रहा है। पर्यावरण के नुकसान की भरपाई कैसे की जाए इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पेड़ों की कटाई के एवज में वृक्षों का रोपण अब तक किसी भी परियोजना में नहीं किया गया। बरही से होकर गुजरे एनएच 33 एवं एनएच 2 परियोजना में भी कई पेड़ काटे गए लेकिन कभी वृक्षों का रोपण नहीं किया गया । बार-बार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना कहीं से भी जायज नहीं है।