नई दिल्ली।
संसद में गोड्डा लोकसभा सांसद डाॅ0 निशिकांत दुबे ने झारखंड और खासकर संथालपरगना के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया. मुद्दा था-पानी का. वो पानी जो झारखंड का है, लेकिन उसका इस्तेमाल दूसरे राज्य कर रहे. डाॅ0 निशिकांत ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि पानी हमारा, जमीन हमारी लेकिन इस्तेमाल दूसरे राज्य कर रहे, अगर इसे रोका नहीं गये तो यहां के किसान मर जायेंगे. यहां के लोग जो पानी-पानी के लिए तरस रहे लेकिन जो पानी हमारा है उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते.
जमीन हमारा,पानी हमारी और इस्तेमाल बंगाल कर रहा
अपनी बेबाक अंदाज की पहचान रखने वाले सांसद निशिकांत ने अपनी बातों को सदन में रखते हुए कहा कि मैं जिस ईलाके से आता हुं वहां से दो नदी निकलती है. मयूराक्षी और चांदन. उन्होंने कहा कि 19 जुलाई 1978 को तत्कालिन बंगाल और बिहार सरकार के बीच एग्रीमेंट हुआ था. जो नदी हमारे यहां निकलती है, मयूराक्षी नदी- उसका पूरा का पूरा पानी, पूरा का पूरा डैम मसानजोर डैम मेरे यहां है, लेकिन उसका पूरा पानी बंगाल यूज करता है. झारखंड में मैथेन डैम है, पंचेत डैम है, लेकिन उसका पूरा पानी और बिजली बंगाल यूज करता है. जबकि, बंगाल ने 1978 में एग्रीमेंट किया, जिसमें लिखा है कि उसके बदले बंगाल तीन डैम बनायेगा. अजय नदी के बदले काली पहाड़ी में डैम बनायेगा. सदेश्वरी नून बील बनायेगा मयूराक्षी नदी पर. बराकर पर बेलपहाड़ी डैम बनायेगा. 1978 से सालों बीत गये लेकिन आजतक बंगाल सरकार ने कोई मीटिंग तक नहीं की. सांसद निशिकांत ने कहा कि जमीन हमारा है, पानी हमारी है और उसका सारा का सारा उपयोग बंगाल कर रहा है.
चांदन नदी का भी यही हाल
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि मसानजोर की तरह ही दूसरी ओर चांदन नदी है. जो देवघर से निकलती है, लेकिन इसका पूरा पानी बिहार सरकार इस्तेमाल करती है. जिसका पानी गोड्डा जिले को देना था, उस डैम को बने हुए 50 साल से ज्यादा हो गये, 1968 में वो डैम बना.
केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे
सांसद निशिकांत ने आग्रह किया कि इस तरह के जो इंटरस्टेट डिस्प्यूट हैं, और जिसमें सरकारें एग्रीमेंट का पालन नहीं कर रही है, उसमें केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे, बंगाल का पानी रोके, मैथेन, पंचेत, सिदेश्वरी नून बेल और मसानजोर से उनको पानी नहीं मिले और झारखंड को पानी दें.
झारखंड को पानी नहीं मिलेगा तो यहां के किसान मर जायेंगे
सांसद ने कहा कि अगर झारखंड को पानी नहीं मिलेगा तो यहां के किसान मर जायेंगे. संथाल परगना में लोग पानी के तरस रहे हैं. हमारा पानी है, हमारी जमीन है, हमारा डैम है. लेकिन बंगाल एग्रीमेंट का पालन नहीं कर रही है. इसलिए बंगाल के उपर कार्रवाई करने के लिए एक कमेटी सरकार को बनाना चाहिए.