मधुपुर।
विकास की पटरी अब भी उन इलाकों तक नहीं पहुंची है. जहां के लोग दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में मुम्बई, दिल्ली, राजस्थान, चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों की ओर पलायन कर रहें हैं. शिक्षित और अशिक्षित युवक-युवतियों का पलायन काम की तलाश में जारी है.
विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के आंकड़े बताते हैं कि पूरे झारखंड में पलायन एक गंभीर समस्या बनी हुई है. खासकर मधुपुर और इसके आसपास के इलाकों की बात करें तो प्रत्येक माह सैकड़ों की संख्या में लोग काम की खोज में महानगरों की ओर जा रहें हैं. स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में मजबूरन लोगों को पलायन करना पड़ रहा है. हालांकि विशेष परिस्थिति को छोड़ देश के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि काम की तलाश में अन्यत्र रूख किया जा सके.
स्थानीय रोजगार व बेहतर नीति से रूकेगा पलायन
जानकारों का कहना है कि पलायन पर अंकुश लगाने के लिए स्थायी रोजगार का होना बेहद जरूरी है. अगर युवाओं को स्किल्ड किया गया है, तो इससे जुड़े रोजगार और बाजार उपलब्ध होनी चाहिए. महिलाओं के हस्तशिल्प, सिलाई-कढाई, घरेलू उत्पाद, छोटे-छोटे उद्योग धंधों के लिए बेहतर नीतियां बननी चाहिए. रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने के लिए दक्षता एवं कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ डोर स्टेप जाॅब होना भी जरूरी है. जिससे महिलाओं का पलायान न हो.
रोजगार मेला में बेरोजगारों को अवसर
रोजगार से जुड़ी विभिन्न कंपनियों में काम देने के लिए समय-समय पर मधुपुर में रोजगार मेला का आयोजन किया जाता रहा है. जिससे बेरोजगार युवकों को इसका लाभ मिलते रहें हैं. लेकिन कई कंपनियों द्वारा बेहतर सेलरी, मानदेय नहीं ऑफर किये जाने से बेरोजगार युवकों में निराशा हाथ लगी है. अब देखना यह होगा कि रोजगार के मुद्दे नेताओं के चुनावी वादे को किस तरह परिभाषित करती है.