Deoghar: देवघर जिले की साइबर थाना पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने आठ साल बाद फर्जी हस्ताक्षर कर करोड़ों रूपये का लेन-देन करने वाले फरार बैंक मैनेजर और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया है। मामला आठ वर्ष पूर्व साल 2016 का है। बैंक मैंनेजर सहित उसके एक सहयोगी द्वारा देवघर स्थित आईसीआईसीआई बैंक के एक खाता से फर्जी हस्ताक्षर बनाकर गैर कानूनी ढंग से करोड़ो रूपये लेन-देन किया गया था।
गिरफ्तार बैंक मैनेजर दीपक कुमार राय झारखंड के गिरिडीह जिला के बक्सीडीह रोड का रहने वाला है, जबकि उसका सहकर्मी सोनू मिश्रा देवघर के सारठ थाना इलाके के तेतरियाटांड़ का रहने वाला है। दीपक कुमार राय वर्तमान में एसबीआई शाखा तामिलनाडु के मदुरई में बैंक मैनेजर के पद पर कार्यरत था। साइबर थाना पुलिस उसे मदुरई से सोमवार को गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर लेकर देवघर पहुंची है। वहीं सोनू मिश्रा को रांची से गिरफ्तार किया गया है वर्तमान में वह रांची में रहकर एक दवा कंपनी में कार्यरत था। दोनों से पुलिस पुछताछ करने में जुटी है।
बताया जाता है कि दीपक कुमार राय पूर्व में देवघर स्थित आईसीआईसीआई बैंक में असिस्टटेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था जबकि एक कर्मचारी के पद पर सोनू मिश्रा कार्यरत था। मामले के अनुंसधान में बैंक मैनेजर दीपक कुमार राय का नाम आया था। सूत्रों की माने तो करोड़ो रूपये के लेन-देन की घटना के उजागर हो जाने के उपरांत दोनों देवघर से बैंक की नौकरी छोड़कर अन्यंयत्र चले गये थे। कुछ दिन बाद दीपक कुमार ने परीक्षा की तैयारी कर स्टैट बैंक की नौकरी पा लिया था।
साल 2016 का है मामला
वर्ष 2016 के जून माह में देवघर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के घोरमारा निवासी संदीप मंडल ने नगर थाना में मामला दर्ज कराया था। इस मामले में कहा था कि आईसीआईसीआई बैंक के देवघर के कर्मी सोनू मिश्रा ने उससे आग्रह किया था कि उसका पेड़ा दुकान है आप बचत खाता एवं चालू खाता खुलवा लिजिये आपको चालू खाता में लोन भी दिलवा देंगें। उसे प्रलोभन देकर 21 जुलाई 2009 को बचत खाता एवं 03 अगस्त 2011 को चालू खाता खुलवा दिया। दोनों खाता का संचालन उसने क्रमश: 18 दिसंबर 2012 तथा चालू खाता 23 फरवरी 2012 तक चलाया। लेकिन व्यापार के लिये लोन नहीं मिलने के कारण तथा एटीएम से बराबर रूपये कट जाने के कारण दोनो खाता के संचालन को बंद करने के लिये शाखा प्रबंधक को 25 फरवरी 2012 को लिखित आवेदन दे दिया। बैंक द्वारा निर्गत उपरोक्त दोनों खाता के पासबुक, चेकबुक, एटीएम शाखा प्रबंधक के मांग पर बैंक में जमा करा लिया गया और साथ ही साथ दोनों खाता को बंद करने के नाम पर कुछ कागजातोें एवं फारमेट पर भी हस्ताक्षर लिया गया और बताया गया कि आपका खाता बंद कर दिया जायेगा। कहा गया कि खाता बंद होने संबधित आवेदन डाक के माध्यम से पते पर भेज दिया गया। कहा था कि 18 जनवरी 2016 को अचानक इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिला उपरांत उसे पता चला कि उसके चालू खाता से 31 दिसंबर 2012 से 19 सितंबर 2013 तक लगभग 4.40 करोड़ एवं बचत खाता से 31 दिसंबर 2012 से 16 जून 2013 तक लगभग 3.66 करोड रूपये की भारी लेन देन हुआ है। कहा था कि जबकि उसने उक्त दोनों खाता को पूर्व में ही बंद करा दिया था। इनकम टैक्स के कार्यालय से नोटिस के बाद वह आईसीआईसीआई बैंक शाखा देवघर पहुंचा और दोनों खाता का स्टेटमेंट लिया तो पता चला कि दोनों खाता उसका बंद नहीं किया गया है तथा निफ्ट एवं आरटीजीएस के माध्यम से फर्जी अंग्रेजी हस्ताक्षर बनाकर गलत चेकबुक निर्गत करवाकर उसका मोबाइल नंबर एवं पता को बदलकर करोड़ों रूपये की भारी मात्रा में गैर कानूनी ढ़ग से लेन- देन किया गया है।