Ranchi: झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve of Jharkhand) में तीन महीने की उम्र वाले नन्हे हाथी की मौत से एक दर्जन गांवों के लोग गम और गुस्से में हैं। यह नन्हा हाथी लातेहार जिले के बरवाडीह के मंडल डैम इलाके में हाथियों के झुंड से बिछुड़ कर कोयल नदी में गिर गया था। बीते 8-9 सितंबर को स्थानीय ग्रामीणों और सीआरपीएफ के जवानों ने उसे रेस्क्यू कर बाहर निकाला था।
उसे पलामू टाइगर रिजर्व में वन विभाग के कार्यालय में रखा गया था, जहां वह सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। ग्रामीणों का आरोप है कि उसकी मौत वन विभाग के कर्मियों की अनदेखी और लापरवाही से हुई है। दूसरी तरफ वन विभाग के अफसरों का कहना है कि नन्हे हाथी की मौत बुखार की वजह से हुई है।
गुरुवार को नन्हे हाथी की मौत की खबर जब टाइगर रिजर्व इलाके के अंतर्गत आनेवाले गांव के लोगों को मिली तो हर कोई मायूस हो गया। बीते एक महीने से लोग बड़ी संख्या में उसकी बालसुलभ हरकतों को देखने पहुंचते थे। गुरुवार को जब ग्रामीणों को सूचना मिली कि नन्हे हाथी को वन विभाग के कर्मी दफनाने के लिए ले जा रहे थे, तो उन्होंने वनकर्मियों की गाड़ी को घेर लिया।
ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए उन्हें वाहन से नीचे उतार दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि हाथी के बच्चे की मौत के बाद उसे चोरी-छिपे दफनाने की तैयारी की जा रही थी। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज किया है।
टाइगर रिजर्व के रेंजर शंकर पासवान ने बताया कि हाथी के बच्चे को बुधवार की दोपहर वायरल फीवर हुआ और इलाज के क्रम में उसने शाम में 7-8 बजे दम तोड़ दिया।
इधर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं वन्य जीवन के जानकार प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव का कहना है कि उचित देखभाल एवं भोजन के ढंग से नहीं मिलने की वजह से हाथी के बच्चे की मौत हुई है। प्रो श्रीवास्तव ने बताया कि एक माह पूर्व बच्चे को उस वक्त रेस्क्यू किया गया था, जब वह पानी में डूब रहा था।
वह अपनी मां से बिछड़ गया था। कायदे से हाथी के बच्चे को उसकी मां से मिला देना था, मगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। दूसरी ओर वन विभाग के अफसरों का कहना है कि टाइगर रिजर्व के कई क्षेत्रों में इस बच्चे की मां को खोजने की कोशिश हुई, परंतु इसमें सफलता नहीं मिल पाई।