Ranchi: गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Godda MP Nishikant Dubey) के पत्र पर CAG ने संज्ञान लिया है। CAG ने पत्र के आधार पर हेमंत सोरेन द्वारा विभिन्न निजी केसों की पैरवी के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल के आरोप को संज्ञान में लेते हुए ऑडिट कराने का फैसला लिया है। इस बात की जानकारी निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर दी है।
उन्होंने लिखा है कि “CAG ने मेरे पत्र का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के माइनिंग लीज़ के अलावा मेरे केस,मुख्यमंत्री व उनके भाई के केस में हाईकोर्ट,सुप्रीम कोर्ट व चुनाव आयोग जैसे व्यक्तिगत जिरहों में नामी गिरामी वकीलों पर जनता का पैसा झारखंड सरकार द्वारा लुटाने पर ऑडिट करने का फ़ैसला किया”
जानकारी हो की गोड्डा लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने CAG गिरिश चंद्र मुर्मु को पत्र लिखकर ये कहा था कि झारखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका समेत चुनाव आयोग में चल रहे डिसक्वालिफिकेशन केस की पैरवी के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकारी धन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले की जाँच की मांग की थी। डॉ दुबे ने अपनी चिट्ठी में जिक्र किया है कि, राज्य के मुख्यमंत्री ने खुद और अपने सहयोगियों के खिलाफ चल रहे मामलों की पैरवी के लिए निजी वकील हायर न कर राज्य सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और पल्लवी लांगर जैसे महंगे वकीलों को बचाव के लिए खड़ा कर सरकारी खजाने से फीस की रकम अदा कराई जो, सरासर गलत है क्योंकि, मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ चल रहे मामले उनके निजी हैं सरकारी नहीं।
करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल निजी मामलों की पैरवी में क्यों?
सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने अपनी चिट्ठी में PIL संख्या 4290/2021 का हवाला देते हुए लिखा है कि, यह मामला मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के खिलाफ सेल कंपनियों को लेकर है। इन सेल कंपनियों का संचालन झारखंड सरकार नहीं करती। ऐसे में एडवोकेट जनरल ऑफ झारखंड गवर्मेंट और उनकी टीम आखिर किन परिस्थियों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों का पक्ष कोर्ट में रख रहे हैं। राज्य के करदाताओं के पैसे को सेल कंपनियों के बचाव में खर्च किया जा रहा है। इतना ही नहीं पत्र के जरिए उन्होंने पूछा है कि, आखिर क्यों नहीं सेल कंपनियों के बचाव के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल करने से पहले विधानसभा से अप्रुुवल लिया गया।
जिम्मेदार अधिकारियों से की सैलरी और पेंशन से हो रिकवरी
सरकारी पैसे का निजी केस में इस्तेमाल को लेकर जांच की मांग करते हुए सांसद दुबे ने सेल कंपनियों के बचाव में अबतक खर्च की गई रकम की रिकवरी प्रधान सचिव कैबिनेट कोऑर्डिनेशन एंड विजिलेंस और डिपार्टमेंट ऑफ लॉ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की तनख्वाह और उनके रिटायरमेंट बेनिफिट से करने की भी मांग की। आपको बता दें कि, सांसद ने सीएजी को लिखी अपनी चिट्ठी में ECI में दायर डिसक्वालिफिकेशन और अवैध माइनिंग आवंटन मामले का भी जिक्र करते हुए तमाम आरोप लगाए हैं।
अब सांसद की इस पत्र पर CAG ने संज्ञान लेते हुए जांच और ऑडिट का निर्णय ले लिया है। जिसके बाद झारखंड में सियासी तापमान बढ़ गया है।