Ranchi: झारखंड की रांची, धनबाद और हजारीबाग स्थित जेलों में बंद गैंगस्टर्स मोबाइल-सेलफोन के जरिएगिरोह ऑपरेट कर रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा टेक्निकल इन्क्वायरी में हुआ है। एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) की टेक्निकल सेल ने जांच में पाया है कि रांची शहर के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल के भीतर 150 से भी ज्यादा मोबाइल सिम एक्टिव हैं। पुलिस मुख्यालय ने जेल के भीतर सक्रिय सिमकार्ड नंबर, व्हाट्सएप नंबर, आइईएमईआई नंबर और वर्चुअल नंबर के ब्योरे के साथयह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। एक माह पहले झारखंड के धनबाद स्थित मंडल कारा से भी कुख्यात गैंगस्टर्स द्वारा डॉक्टरों और व्यवसायियों को लगातार थ्रेट कॉल की पुष्टि टेक्निकल जांच में हुई थी। इसके बाद यहां के जेलर अमर तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि जेल अधीक्षक अजय कुमार के खिलाफ डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग चलाने की सिफारिश की गयी है।
इसी तरह एक आपराधिक मामले की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने पाया कि झारखंड की हजारीबाग के जेपी सेंट्रल जेल में बंद गैंगस्टर्स कम से कम छह मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस जेल में बैठा अपराधी दिल्ली में अपने गैंग के लोगों को मोबाइल के जरिए निर्देश देता है। दिल्ली पुलिस ने इस बाबत हाल में ही झारखंड पुलिस को एक पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा है। दिल्ली पुलिस के इस पत्र के आधारझारखंड के जेल आईजी मनोज कुमार ने झारखंड सरकार से हजारीबाग के जेपी सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंट कुमार चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है।
इन तीनों जेलों में से सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मामला झारखंड की राजधानी रांची स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल का है। इस जेल के भीतर करीब 200 मोबाइल के उपयोग की पुख्ता सूचनाओं के आधार पर रांची के खेलगांव थाने के प्रभारीमनोज कुमार महतो ने खुद तीन माह पहले एक मार्च 2022 को एफआईआर (केस नंबर 15/2022) दर्ज करायी थी। इस एफआईआर में बताया गया था कि बिरसा मुंडा जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर अमन साहु, अमन सिंह, सुजीत सिन्हा, शीतल महतो, हरिकिशोर प्रसाद उर्फ किशोर, सूरज कुमार सिंह, राजू सिंह, हरि तिवारी मोबाइल का इस्तेमाल रंगदारी मांगने और अपने गिरोह के लोगों को निर्देश देने के लिए करते हैं। एफआईआर में इन गैंगस्टर्स के अलावा जेलकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया है। इसी एफआईआर के आधार पर तफ्तीश आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने टेक्निकल जांच करायी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच की जो रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गयी है, उसमें आरोपियों के खिलाफ कठोर एक्शन कार्रवाई की अनुशंसा के साथ-साथ जेल में मोबाइल नेटवर्क को जाम करने के लिए जैमर को अपग्रेड करने की भी जरूरत बतायी गयी है। फिलहाल रांची सेंट्रल जेल में टू जी जैमर लगा है, लेकिन अपराधी फोर जी नेटवर्क इस्तेमाल करते हैं। जेल में हुई छापेमारी में पहले कई बार मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।