Ranchi: जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister for Tribal Affairs Arjun Munda) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) को पत्र लिखकर रांची के सिरमटोली में सरना पूजा स्थल पर भवन निर्माण के शिलान्यास पर सवाल खड़ा किया है।
पांच मंजिला संरचना का निर्माण चिंता का विषय
उन्होंने शुक्रवार को अपने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार इस स्थान पर आने वाले श्रद्धालुओं के कल्याण के बारे में चिंतित है, यह सही है। लेकिन सरना पूजा स्थल पर पांच मंजिला संरचना का निर्माण चिंता का विषय है। क्योंकि यह आदिवासी धर्म और संस्कृति नहीं है। आदिवासी समुदाय खुद को इमारतों से नहीं, बल्कि प्रकृति और पारिस्थितिक संतुलन से जोड़ते हैं। सरना पूजा स्थल एमएस खतियान में प्लॉट नंबर 1096 पर है, जिसका स्वामित्व स्वर्गीय मंगल पाहन के नाम पर है।
वास्तविक स्वामियों से कोई अनुमति नहीं
कल्याण विभाग ने न तो इस स्थल के वास्तविक स्वामियों से कोई अनुमति मांगी है और न ही उन्हें स्थल पर इस प्रस्तावित निर्माण के बारे में पहले से अवगत कराना उचित समझा है। साथ ही यह पूरी कवायद आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने की आड़ में की जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार आदिवासी पूजा स्थल पर भवन बनाकर आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। जबकि इसके विपरीत, आदिवासी संस्कृति का सच्चा सादृश्य प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की अवधारणा को बढ़ावा देने के माध्यम से है।
इमारत बनाने के बजाय साल और अन्य पेड़ लगाएं
कल्याण विभाग वास्तव में आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने और संरक्षित करने का इरादा रखता है, तो वह पांच मंजिला इमारत बनाने के बजाय साल और अन्य पेड़ लगाएं एवं पर्यावरण के अनुकूल झोपड़ियां तथा शेड बनाएं। यदि राज्य सरकार सरना भवन का निर्माण करना चाहती है, तो वे शहर में अन्य प्रमुख स्थल चुन सकते हैं। मेरा आग्रह है कि इसे सरना पूजा स्थल के रूप में छोड़ दें। इसके अतिरिक्त जनजातीय कला और संस्कृति के लिए एक जनजातीय संग्रहालय सह केंद्र भी बनाया जा सकता है।