Dhanbad: झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर धनबाद पहुंचे। वह सबसे पहले बीसीसीएल के कुसुंडा क्षेत्र के ऐना आउटसोर्सिंग, आरके ट्रांसपोर्ट पहुंचे। इस दौरान उनका ढोल-बाजा के साथ जोरदार स्वागत किया गया। वे आग के बीच कोयला उत्पादन देखकर अचंभित हो गए। राज्यपाल पहली बार किसी ओपन कास्ट कोल परियोजना को देखने पहुंचे थे।
राज्यपाल ने माइंस के बीच आग की लपटें देखकर अधिकारियों से पूछा कि उक्त स्थल से कोयला शायद नहीं जा सकेगा। इस पर अधिकारियों ने बताया कि पहले आग को सुरक्षित ढंग से हटाया जाएगा और उसके बाद उक्त स्थल से कोयला का उत्पादन शुरू किया जाएगा। इस जानकारी पर वे काफी उत्सुक हो उठे। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है, जब इस परिस्थिति में कोयला का उत्पादन देख रहा हूं।
उन्होंने उद्घाटन के लिए खड़े तीन हेवी डंपर के बड़े-बड़े टायर देख आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने आउटसोर्सिंग प्रबंधक रवि अग्रवाल से यहां तक पूछा कि टायर की कीमत कितनी होगी। उद्घाटन के लिए खड़े तीन हैवी डंपर को अधिकारियों ने उनके समक्ष इंजन स्टार्ट करके दिखाया।
राज्यपाल ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि मैंने अंडरग्राउंड माइन्स देखी है। मुझे ओपन कास्ट प्रोजेक्ट देखने की इच्छा थी जो आज पहली बार देखकर पूरी हो गई। पत्रकारों द्वारा झरिया पुनर्वास की खामियों पर पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
पत्रकारों ने अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों के पुनर्वास की गति काफी धीमी होने पर कई सवाल किए। प्रदूषण व अन्य समस्याओं के सवालों को भी राज्यपाल तरीके से टाल गए।
इस मौके पर धनबाद उपायुक्त संदीप सिंह, एसएसपी संजीव कुमार, सिटी एसपी आर राम कुमार, एसडीएम प्रेम तिवारी, बीसीसीएल सीएमडी पी एम प्रसाद, डीटी चंचल गोस्वामी, डायरेक्टर फाइनेंस समीर दत्ता, कुसुंडा महाप्रबंधक वीके गोयल, प्रोजेक्ट ऑफिसर प्रणब दास सहित दर्जनों अधिकारी उपस्थित थे।
राज्यपाल के आगमन को लेकर पूरे क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। परियोजना के व्यू प्वाइंट के आसपस बैरिकेडिंग कर सुरक्षा घेरा बनाया गया था। सुरक्षा घेरा के अंदर निर्धारित लोगों को ही प्रवेश की अनुमति थी।
परियोजना मुख्य गेट पर सीआईएसफ तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश पर आने वाले लोगों को जांच किया जा रहा था। वहीं परिजनों के चारों ओर सुरक्षा जवान तैनात थे। ड्रोन कैमरे से परियोजना व आसपास निगरानी की जा रही थी।
जबकि सुरक्षा के मद्देनजर कतरास मोड़, भगतडीह, बस्ताकोला सहित अन्य जगह मुख्य मार्ग के किनारे पुलिस की टुकड़ी जगह-जगह तैनात थी।