रांची।
मसानजोर डैम को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। याचिकाकर्ता गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (MP Nishikant Dubey) के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय के मुताबिक सुनवाई के दौरान अदालत ने एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार (State Government) की तरफ से एफिडेविट दायर नहीं होने पर नाराज़गी जतायी है। साथ ही दो सप्ताह के अंदर एफिडेविट दायर करने का अंतिम मौका दिया है।
अदालत ने सरकार से पूछा:-
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन (Chief Justice Dr. Ravi Ranjan) और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद (Justice Sujit Narayan Prasad) की अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जब वे झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की हैसियत से मसानजोर डैम के भ्रमण के लिए गये थे, उस वक़्त वहां के गेस्ट हॉउस (Guest House) की स्थिति जर्जर और बदहाल थी। कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें झारखंड के गेस्ट हॉउस में न ठहरा कर बंगाल के गेस्ट हॉउस में विश्राम करने के लिए जगह उपलब्ध करवाई। खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि मसानजोर डैम से झारखंड को कितना पानी मिलता है। बंगाल सरकार के साथ चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए किस स्तर पर बातचीत की जा रही है। इन दोनों बिन्दुओं पर सरकार से जवाब मांगा गया है।
निशिकांत दुबे ने दायर की है याचिका:-
दरसअल, गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मसानजोर डैम (Masanjore Dam) के पानी का इस्तेमाल और उससे उत्पादित होने वाली बिजली में झारखंड सरकार को वाजिब अधिकार की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि अगर मसानजोर डैम का विवाद खत्म हो जायेगा, तो झारखंड के संथाल परगना के कई जिलों में सिंचाई के पानी की समस्या खत्म हो सकती है।
गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय के मुताबिक सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार की तरफ से एफिडेविट दायर नहीं होने पर नाराज़गी जतायी।