New Delhi: रेलवे में रेट ऑफ़ रिटर्न (Rate of Return) सबसे बड़ा विषय है। ब्रिटिशों की देन रेट ऑफ़ रिटर्न कानून को बदलने की आवश्यकता है। रेलवे को ये सोचने की जरूरत है कि रेट ऑफ़ रिटर्न की जगह पिछड़े जिलों तक कल्याणकारी राज्य (welfare state) की कल्पना के आधार रेल लाइन पहुंचाया जाए। ये बातें रेल बजट चर्चा के दौरान झारखंड से गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कही।
सांसद निशिकांत दुबे (MP Nishikant Dubey) ने उदहारण पेश करते हुए कहा कि जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर जैसे इलाकों में रेलवे की सुविधा रेट ऑफ़ रिटर्न के आधार पर नहीं बल्कि उस वक़्त के राजा-महाराजाओं ने अपने-अपने खर्च पर रेल लाइन बनाकर जनता को दिया था।
निशिकांत दुबे ने रेल मंत्री से कहा कि रेट ऑफ रिटर्न कानून को बदलने की और कल्याणकारी राज्य की कल्पना के आधार पर पिछड़े इलाकों तक रेलवे लाइन को पहुंचाने की आवश्यकता है।
आज अगर झारखण्ड न हो तो रेल नहीं चलेगी
वहीं, निशिकांत दुबे ने रेलवे का ध्यान इस ओर भी आकर्षित करने की कोशिश करते हुए बड़ा सवाल किया कि जरा सोचिये अगर कोयला न हो तो रेल का क्या होगा। उन्होंने कहा कि आज अगर झारखण्ड न हो तो रेल नहीं चलेगी क्योंकि 40% रेवेन्यू रेलवे को देने वाला राज्य झारखंड है। इसके बावजूद भी रेलवे के ज़्यादा प्रोजेक्ट मुंबई जैसे इलाकों में चलते हैं। निशिकांत दुबे ने कहा कि रेलवे जानती है कि ज्यादा पैसा कोयला से ही आ रहा है लेकिन तब क्या होगा जब 25 साल बाद कोयला मिट्टी बन जायेगा।
रेल को टूरिज़्म से जोड़ने की जरूरत
निशिकांत दुबे ने कहा कि कोयला खत्म होने के बाद की स्थिति को रेलवे द्वारा आज सोचने की ज़रूरत है। ताकि रेल बढ़ता रहे। उन्होंने कहा कि हमारे पास इस स्थिति से बचने के लिए दूसरा साधन है टूरिज़्म (tourism)। रेलवे को वैसे तमाम पर्यटक स्थलों व ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ने की जरूरत है जहां ज़्यादा तादाद में पर्यटक पहुंचे। जिससे रेलवे की कमाई बढ़ती रहे। उन्होंने उदाहरण के तौर पर विक्रमशिला विश्विद्यालय, मंदार पर्वत और पारसनाथ पहाड़ी के बारे में बताया जिसे देखने जाने के लिए रेल की सुविधा नहीं है।
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पूरी दुनिया की रेलवे टूरिज़्म से चल रही। इसपर हमें भी सोचने की आवश्यकता है।
अपनी बात रखते हुए गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने ये भी कहा कि देवघर हर साल पांच करोड़ लोग पहुंचते हैं। तमाम तरह की ट्रेन यहां से गुजरती है लेकिन सातों दिन के लिए नहीं है। ऐसे में योजनाओं पर सोचने की जरूरत है।
वहीं, निशिकांत दुबे ने के 75 साल बाद उनके संसदीय क्षेत्र गोड्डा में 2021 में पहली बार रेल लाईंन गयी इसको लेकर प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया।