नई दिल्लीः देवघर AIIMS का OPD भवन बनकर तैयार है। जिसका उद्घाटन दो बार टाला जा चूका है। पहली बार तिथि तय हुई थी 18 अप्रैल को जिसे राज्य सरकार ने मधुपुर उपचुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुए रद्द करा दिया था। दूसरी बार 26 जून की तारीख तय हुई। जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थगित कर दिया है। गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे को सूबे की सरकार इस उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर निशाने पर रखे हुए है। वजह चाहे जो हो सबसे बड़ी जीच इस बात को लेकर निकल पड़ी है कि आखिर देवघर एम्स किसकी देन है?
झारखण्ड की सत्ताधारी सरकार का दावा है कि देवघर एम्स UPA और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की देन है। बहरहाल, N7india.Com के पास 16वीं लोकसभा के कमिटी ऑफ़ पेटिशन की दो रिपोर्ट है। जिससे इस दावे पर से पर्दा उठ जायेगा कि देवघर एम्स किसकी सरकार और किसके लगातार प्रयास से न सिर्फ मिल पाया बल्कि अब बनकर उद्घाटन के कगार पर खड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है विजन
दरअसल, साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) की घोषणा की थी। देश के हर राज्य में एम्स खोलने का विजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत देश के सभी राज्यों में एम्स या एम्स की तरह सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने या जो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहले से मौजूद हैं उन्हें सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बदलने का प्रावधान किया गया।
पहली बार एमपी निशिकांत ने उठाया देवघर एम्स का मुद्दा
जब NDA की सरकार साल 2004 में चली गयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA की सरकार सत्ता में आई। UPA की सरकार 2014 तक रही। इस दौरान UPA की सरकार द्वारा सिर्फ और सिर्फ उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एम्स की घोषणा की गयी। इस बीच साल 2011 में पहली बार लोकसभा में देवघर में एम्स की स्थापना की मांग सांसद निशिकांत दुबे ने उठायी।
पीएम को पत्र लिख निशिकांत ने की देवघर एम्स की मांग
2014 में जब UPA की सत्ता चली गयी और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आ गयी तो उन्होंने राष्ट्रपति अभिभाषण व बजट 2014 में देश के सभी राज्यों में एम्स की स्थापना की घोषणा की। तब डॉ. निशिकांत ने एक जुलाई 2014 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि देवघर के देवीपुर में 200 एकड़ जमीन सरकार के पास है, यहां एम्स बनना चाहिए। 23 जुलाई 2014 को सदन में उन्होंने फिर से देवघर एम्स का मुद्दा उठाया। लेकिन, मोदी सरकार के पहले बजट 2014-15 में चार राज्यों आंध्र प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र और यूपी के पूर्वांचल में AIIMS की घोषणा हुई। फिर 2015-16 के बजट में छह राज्यों जम्मू & कश्मीर, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश , असम और बिहार में एम्स की घोषणा हुई। इन दोनों बजटों में झारखण्ड राज्य को एम्स नहीं मिला।
16वीं लोकसभा के कमिटी ऑफ़ पेटिशन के सामने रखी मांग
गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे देवघर में एम्स लाना चाहते थे। जिसके लिए वे पहले दिन से प्रयासरत थे। इन दोनों बजटों में झारखंड को जब एम्स नहीं मिला तो डॉ. निशिकांत दुबे ने 16वीं लोकसभा के कमिटी ऑफ़ पेटिशन के समक्ष अपना आवेदन रखा। इस आवेदन के जरिये उन्होंने कमिटी को उन सारे तथ्यों से अवगत कराया जिससे झारखण्ड के देवघर में एम्स निर्माण के सारे शर्तों को पूरा होता प्रमाणित हो रहा था।
देवघर एम्स निर्माण की सबसे बड़ी बाधा थी जमीन
देवघर एम्स निर्माण की सबसे बड़ी बाधा थी जमीन का उपलब्ध होना। इस बीच तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने झारखण्ड सरकार को पत्र भेजकर तीन स्थानों को चिन्हित करते हुए एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कह चुके थे।
हेमंत सोरेन ने भी नहीं किया देवघर का जिक्र
इसके बाद उस वक़्त तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका, रांची के इटकी और पलामू में एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की। यहां भी देवघर का जिक्र नहीं हुआ।
देवघर हर लिहाज से एम्स के लिए था फिट
तब, कमिटी ऑफ़ पेटिशन के सामने डॉ. निशिकांत दुबे ने देवघर में एम्स के लिए 200 एकड़ जमीन उपलब्ध होने की बात कही। साथ ही देवघर के एयर और रेल कनेक्टिविटी की सहूलियतों से कमिटी को अवगत कराया। इसके साथ ही देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल देवघर के धार्मिक महत्व और यहां सालों भर करोड़ों पर्यटकों के आने-जाने की बात भी कमिटी के सामने रखी।
झारखण्ड के 14 एमपी ने भी किया देवघर में एम्स का विरोध
बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है। साल 2016 के अगस्त माह में निशिकांत दुबे को कमिटी के सामने यह सच भी रखना पड़ा कि झारखंड से राज्यसभा को मिलाकर 20 एमपी में से 14 एमपी द्वारा देवघर को छोड़ राज्य में कहीं अन्य जगह पर एम्स के लिए जमीन देखने की मांग की गयी है। जिसपर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक ने झारखण्ड के स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को कहा कि देवघर में एम्स निर्माण के पहले प्रस्ताव पर आप सहमत हैं तो इसका पत्र तुरंत भेजें। ताकि देवघर एम्स निर्माण के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सके।
रघुवर सरकार ने लगाया मुहर
सूबे की तत्कालीन रघुवर सरकार ने 19 अगस्त 2016 को देवघर में एम्स निर्माण पर अंतिम मुहर लगाते हुए प्रस्ताव को केंद्र को भेज दिया। इससे पहले 15 जनवरी 2015 को रघुवर दास ने देवघर में एम्स निर्माण के फाइल को मंजूरी दी थी। जिसपर केंद्र द्वारा कुछ चेकलिस्ट के आधार पर दस्तावेज मांगे गए थे। जो 19 अगस्त 2016 को भेजा गया।
पीएम मोदी ने देवघर को दिया एम्स की सौगात
मोदी सरकार 2017-18 के बजट में आख़िरकार देवघर को एम्स मिल ही गया। अब यह स्पष्ट करने की जरूरत नहीं है कि देवघर का एम्स किसके प्रयासों का नतीजा है।