नई दिल्ली।
कोरोना वायरस महामारी और जून तक चले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद भारत के कृषि निर्यात में पिछले छह महीने से तेजी आई है, जबकि अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को नुकसान उठाना पड़ा है ।
कृषि जिंसों का निर्यात बढ़ा
अप्रैल से सितंबर, 2020 के बीच आवश्यक कृषि जिंसों का निर्यात 43.4 प्रतिशत बढ़कर 53626.6 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 37397.3 करोड़ रुपये था। आंकड़ों के अनुसार गेहूं निर्यात में 206 प्रतिशत, इसके बाद गैर बासमती चावल में 105 प्रतिशत, रिफाइंड चीनी में 104 प्रतिशत और मूंगफली 35 प्रतिशत दर्ज की गई।
सितंबर 2020 में कृषि उत्पादों का निर्यात 82 फीसदी बढ़ा
सितंबर 2020 की बात की जाए तो देश से पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 82 फीसदी ज्यादा कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है. मंत्रालय ने बताया कि सितंबर 2020 में कृषि निर्यात 9,296 करोड़ रुपये का रहा, जो सितंबर 2019 में 5,114 करोड़ रुपये का रहा था. दूसरे शब्दों में समझें तो इस साल सितंबर में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले कृषि उत्पादों का 81.7 फीसदी ज्यादा निर्यात हुआ। कृषि मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान व्यापार संतुलन 9002 करोड़ रुपये पर काफी सकारात्मक रहा है, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान व्यापार घाटा 2133 रुपये था।
आंकड़ों के अनुसार मूंग निर्यात में पिछले साल 9629.94 मीट्रिक टन की तुलना में इस साल अभी तक 10537 मीट्रिक टन निर्यात दर्ज किया गया है। उड़द दाल का निर्यात 4581 मीट्रिक टन से बढ़कर 8014 मीट्रिक टन हो गया। प्याज निर्यात 967739 मीट्रिक टन से बढ़कर 1293409 मीट्रिक टन हो गया।
सितंबर में सरकार ने खुदरा बाजारों में कीमतों में वृद्धि के कारण प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है । सरसों,कोलज़ा बीज आदि का निर्यात 16743 मीट्रिक टन से बढ़कर 27334 मीट्रिक टन हो गया। सोयाबीन निर्यात 34640 मीट्रिक टन से बढ़कर 39838 मीट्रिक टन हो गया।
आवश्यक कृषि वस्तुओं के निर्यात में आई 43.4% वृद्धि
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने कहा कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे ठोस प्रयासों के नजीते सामने आने लगे हैं। संकट के बाद भी अप्रैल-सितंबर 2020 की अवधि में आवश्यक कृषि वस्तुओं के निर्यात में 43.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस दौरान मूंगफली निर्यात में 35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह रिफाइंड शुगर के निर्यात में 104 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान गेहूं के निर्यात में 206 फीसदी, बासमती चावल में 13 फीसदी और गैर-बासमती चावल में 105 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय ने दावा किया है कि निर्यात में उछाल नई कृषि निर्यात नीति का नतीजा है, जिसका आगाज 2018 में किया गया था ।
इसके तहत कृषि, बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के तत्वावधान में आठ निर्यात संवर्धन मंच स्थापित किए गए हैं। ईपीएफ केले, अंगूर, आम, अनार, प्याज, डेयरी, बासमती और गैर बासमती चावल पर बनाया जाता है।
इसके अलावा हाल ही में केंद्र सरकार ने एग्री बिजनेस माहौल को बेहतर बनाने के लिए एग्री इंफ्रा फंड 1 लाख करोड़ रुपये की घोषणा भी की है, जिससे यथासमय एग्री एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जा सके।
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा, कृषि मंत्रालय ने मूल्य वर्धन पर जोर देते हुए कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक व्यापक कार्य योजना भी तैयार की है और आयात प्रतिस्थापन के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है ।
इस बीच, सरकार ने जोर देकर कहा है कि हाल ही में पारित तीन कृषि विधेयक, जो किसान बड़ी कंपनियों के उत्पादों के मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण पाने के डर से विरोध कर रहे हैं, कृषि की तकदीर बदल देंगे ।
एग्री ट्रेड प्रमोशन के लिए कार्य योजना बना रहा है केंद्र
खेती और बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एग्री एक्सपोर्ट प्रमोशन बॉडी (APDA) के तहत एग्री एक्सपोर्ट प्रमोशन फोरम (EPFs) स्थापित किए गए। ये ईपीएफ केला, अंगूर, आम, अनाज, दुग्ध उत्पाद, बासमती चावल और गैर बासमती चावल के लिए बनाए गए. ईपीएफ का काम ग्लोबल मार्केट में निर्यात को बढ़ावा देने के प्रोडक्शन और सप्लाई चेन तक पहुंचकर मदद करना है। इसके अलावा सरकार ने एग्री बिजनेस इनवायरमेंट को सुधारने के लिए एक लाख करोड़ के एग्री इंफ्रा फंड की घोषणा की है, जो एग्री एक्सपोर्ट को बढ़ावा देगा। कृषि मंत्रालय एग्री ट्रेड के प्रमोशन के लिए व्यापक कार्य योजना भी तैयार कर रहा है।