New Delhi: केंद्र सरकार के लिए आमदनी के लिहाज से बीता जुलाई बेहतरीन महीना रहा है। जुलाई 2021 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह जुलाई 2020 के मुकाबले 33 फीसदी बढ़कर 1.16 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय ने रविवार को ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी।
आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2021 में जीएसटी संग्रह 1,16,393 करोड़ रुपये रहा है। जुलाई 2020 में GST संग्रह 87,422 करोड़ रुपये रहा था। यदि साल 2020 के जुलाई से तुलना करें तो GST संग्रह में 33 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें स्टेट जीएसटी के रूप में 28541 करोड़ रुपये, सेंट्रल जीएसटी 22,897 करोड़ रुपये और इंटर जीएसटी के मद में 57,864 करोड़ रुपये शामिल है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित पाबंदियों में ढील से जुलाई का जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया। इससे यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार तेजी से हो रहा है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक लगातार 8 माह तक GST संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा था लेकिन जून 2021 में यह घटकर इससे नीचे आ गया। इसकी वजह जून के संग्रह का मई के लेनदेन से संबंध था। उल्लेखनीय है कि जून 2021 में जीएसटी संग्रह 92,849 करोड़ रुपये रहा था। इसमें सीजीएसटी से 16,424 करोड़ रुपये, एसजीएसटी से 20,397 करोड़ रुपये और आईजीएसटी से 49,079 करोड़ रुपये शामिल थे।
सेस की मदद से मिले 8 हजार करोड़ रुपये
GST में सेस की मदद से जुलाई में केंद्र सरकार को 7790 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसमें 815 करोड रुपये आयातित सामान पर लगने वाले सेस से प्राप्त हुए हैं। जीएसटी का यह संग्रह जुलाई के महीने में जीएसटीआर-3बी फाइलिंग के जरिए हुआ है। इसके अलावा जुलाई में आयातित सामान पर वसूले गए आईजीएसटी और सेस को भी इस संग्रह में शामिल किया गया है।
GST संग्रह में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाले राज्य
यदि जुलाई में राज्यों से मिले जीएसटी की हिस्सेदारी की बात करें तो महाराष्ट्र देश में अव्वल रहा है। महाराष्ट्र ने जुलाई में 18,900 करोड रुपये का जीएसटी दिया है, जो पिछले साल के जुलाई की तुलना में 51 फीसदी ज्यादा है। इसके बाद तमिलनाडु से पिछले साल की तुलना में 36 फ़ीसदी अधिक 6300 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह रहा है। गुजरात की हिस्सेदारी 7630 करोड़ के करीब रही है, जबकि उत्तर प्रदेश ने जीएसटी संग्रह में 6011 करोड़ रुपये का योगदान किया है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों की हिस्सेदारी भी जीएसटी संग्रह में ठीक ठाक रही है।
GST संग्रह में सबसे कम हिस्सेदारी वाले राज्य
अगर बात राज्यों के हिसाब से जीएसटी संग्रह की बात करें तो सबसे कम हिस्सेदारी लक्षद्वीप जैसे राज्य की रही है। लक्षद्वीप ने जुलाई 2021 में जीएसटी संग्रह में सिर्फ एक करोड़ रुपये का योगदान किया है। उसके बाद अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने 19 करोड़ रुपये, लद्दाख ने 13 करोड़ रुपये, मिजोरम ने 21 करोड़ रुपये, नगालैंड ने 28 करोड़ रुपये और मणिपुर ने 37 करोड़ रुपये का योगदान किया है। दमन एवं दीव ने जुलाई 2021 में जीएसटी में 0 रुपये योगदान किया है।
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