Jamui: बीपीएससी का शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद जमुई में एक ऐसा अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र लेने पहुंचा जिसके दरोगा पिताजी ने नहीं पढ़ने की शिकायत पर घर से बाहर निकाल दिया था। 19 साल की उम्र में घर से निकाले जाने के बाद बिहार के गया पहुंचे युवक निरंजन राम को एक बौद्ध भिक्षु ने गोद ले लिया। जिसने इसे पढ़ने में मदद की और युवक ने डबल एमए, B.Ed जैसे कई डिग्री लेकर 2006 में ही नियोजित शिक्षक बन गया। अब जब सरकार ने मौका दिया तब बीपीएससी की परीक्षा पास कर प्लस टू स्तर के स्कूल का शिक्षक बन गया, निरंजन का कहना है कि जिस कारण उसे घर से निकाला गया उसे ही वह हथियार बना लिया।
निरंजन राम की शादी 2011 में एक अधिकारी के बेटी से हुए है। उनके दो बच्चे भी है। निरंजन राम ने बताया कि बौद्ध धर्म अपनाने के बाद भी मेरी वैवाहिक संबंध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा,बल्कि पत्नी मेरे से एक कदम और आगे बढ़कर पूजा पाठ करती है।निरंजन कुमार वर्तमान में नियोजित शिक्षक के रूप में जमुई जिले के सिमुलतल्ला इलाके के टेलवा मिडल स्कूल में बच्चो के शारीरिक शिक्षक के रूप में योगदान दे रहे है।
निरंजन राम ने 52 साल की उम्र में नियुक्ति पत्र लेकर आगे पोल्टिकल साइंस की पढ़ाई बच्चो को शिक्षा देने की बात कही।
निरंजन राम ने बताया कि घर जाता भी हूं। मात्र 5 मिनट के लिए आगे दरवाजा से जाकर, पिता का पैर छू कर पीछे दरवाजा से निकल जाता हूँ। उन्होंने बताया मेरे पिता हमे शिक्षक नही बनाना चाहते थे।वह हमे अधिकारी बनना देखना चाहते थे।बस इसी सब बातों को लेकर हम अपने पिता को पसंद नही थे। उन्होंने कहा कि मैं जीवन भर उन्हे मानने की कोशिश करुंगा।