Patna: बिहार विधानमंडल में शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को विधानसभा में जहरीली शराब से मौतों को लेकर विपक्षी भाजपा सदस्यों ने बेल में आकर हंगामा किया। हंगामे के बीच नीतीश मुस्कुराते रहे। विधानसभा अध्यक्ष अवधबिहारी चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा में बहस भी हुई। भाजपा विधायक मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग रहे थे। इसके बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कार्यवाही स्थगित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इतने बड़े पैमाने पर लोगों की मौत पर सरकार को आगे आकर इसकी जांच सीबीआई से करानी चाहिए। जांच के बाद सरकार में शामिल लोग फसेंगे। सरकार इस तरह की घटनाओं को नहीं रोक सकती है तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इतनी लोगों की मौत के बावजूद सदन में मुख्यमंत्री की तरफ से कोई वक्तव्य नहीं आया है। विधानसभा स्पीकर का आचरण विपक्ष के साथ उचित नहीं है। विपक्ष के विधायकों को सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है। सरकार चाहे जो भी कर ले, जहरीली शराब से हुई मौतों पर विपक्ष चुप नहीं बैठेगी। नीतीश कुमार किसी भ्रम में नहीं रहे। सत्ता हाथ से जाएगी तो उनकी दुर्गति तय है।
विजय सिन्हा ने कहा कि नीतीश सरकार सदन के भीतर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कहा कि छपरा में अबतक जहरीली शराब से 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद सरकार सदन के अंदर मजाक कर रही है। उन्होंने कहा कि शराब की आड़ में बिहार की सरकार लोगों का नरसंहार करा रही है। नीतीश कुमार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार में अपराधी खुलेआम आतंक मचा रहे हैं। सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की है कि बिहार में अबतक जहरीली शराब से एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। उनके परिजनों को सरकार उचित मुआवजा दे। क्योंकि, जहरीली शराब को रोकना सरकार की ही जिम्मेवारी है। शराबबंदी को सफल बनाना सरकार की जिम्मेवारी थी। वह अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती है।
विजय सिन्हा ने कहा कि महा गठबंधन सरकार ने हाल ही में संपन्न गोपालगंज उपचुनाव में शराब माफिया को टिकट देकर पार्टी का उम्मीदवार बनाया और शराब पीने वाले को कुढ़नी उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया।सरकार शराब और बालू माफिया को संरक्षण देने का काम कर रही है। विपक्ष जब सदन में इसको लेकर आवाज उठाता है तो उसे दबाने की कोशिश की जाती है। बिहार के लोकतंत्र में आज तक ऐसा व्यवहार विपक्ष के साथ नहीं हुआ जो भाजपा के साथ किया जा रहा है। धृतराष्ट्र बनकर बिहार के मुख्यमंत्री सदन के अंदर ताली बजाते हैं।