Madhubani: जिला के समर्पित सवर्ण भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बुधवार को मांग- समर्थन पत्र केन्द्र व राज्य नेतृत्व को भेजने की खबर है।भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं द्वारा बुधवार को बिहार विधान सभा में मिथिलांचल परिक्षेत्र से विरोधी दल नेता की दावेदारी जताया गया है।
बिहार की सियासी राजनीति वर्तमान में मिथिलांचल परिक्षेत्र खासकर मधुबनी से भाजपा के एक सांसद, पांच विधायक व विधान पार्षद हैं। भारतीय जनता पार्टी की अहम भागीदारी निभाने की चर्चा सर्वत्र हो रही है। मिथिलांचल की हृदय स्थली दरभंगा- मधुबनी में भाजपा की कमल फूल वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में खिल उठी । मधुबनी संसदीय क्षेत्र से अशोक यादव व दरभंगा से कद्दावर नेता गोपाल जी ठाकुर ने एमपी बनकर सवर्ण मतदाताओं की आत्मबल को गौरवान्वित किया।
इसी प्रकार वर्ष 2020 के विधान सभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की करिश्माई स्वरुप पर युवा मतदाताओं की व्यापक रूझान- झुकाव भाजपा की ओर मुखर हुई। मधुबनी जिला में भाजपा के पांच विधायक उत्कृष्ट रूप में कमल खिला जीत पक्की किया।
मधुबनी जिला में दस विधान सभा में से पांच क्षेत्र में बीजेपी के विधायक विजयी हुआ। जिसमें सर्वाधिक वोट से पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा झंझारपुर में तथा पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा बेनीपट्टी में चुनाव जीता। इधर फायर ब्रिगेड नेता के रूप में बिस्फी के विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल की जीत हुई।वर्तमान में बचौल की अहम भूमिका बिहार भाजपा की राजनीति में बनती जा रही है।
हरि भूषण ठाकुर बचौल की महत्वाकांक्षा और भाजपा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर जेड श्रेणी की सुरक्षा देने को पिछले एनडीए सरकार विवस हुई। यहां पर विनोद नारायण झा कद्दावर नेता हैं। पूर्व मंत्री रह चुके हैं। साथ ही पंडौल और बेनीपट्टी से लगातार विधायक बनते रहे हैं। इनकी कद – काठी भी ब्राह्मण समुदाय के बीच अच्छी खासी पकड़ रखती है।
इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री डा जगन्नाथ मिश्र के पुत्र तथा झंझारपुर में एक छत्र राजनीति करने वाले भाजपा नेता पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा का अपनी अलग पहचान रही है।शुरुआती दौर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रीमंडल के साथ नीतीश मिश्रा जुड़े हुए थे। उस समय उन्हें आपदा मंत्री का पद दिया गया था। लेकिन नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व काल में उनकी आन्तरिक संबंध अनबन की रही। सार्वजनिक रूप से समय-समय पर दिखार होता रहा।भाजपा में नीतीश मिश्र सहज जुड़े।
सहरसा में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन के समय नीतीश मिश्रा की सहभागिता और मंच व्यवस्थित करने में तत्पर रहे। वहां आमजनों की उपस्थिति व लोगों की जुटान में नीतीश मिश्रा की अहम भागीदारी रही। इस बात को भुलाया नहीं जा सकता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में विधान सभा में विरोधी दल नेता चयन में मिथिलांचल की अहम भागीदारी पर जोर जताया गया है। दरभंगा- मधुबनी के सत्ता के गलियारों में इस बात की जोर शोर से चर्चा हो रही है। भाजपा के कद्दावर नेताओं की संख्या इस इलाके से काफी प्रबल है।
मधुबनी जिला से रामप्रीत पासवान को मंत्री बनाकर भले ही यहां पर दलित राजनीति को बलवती करने का प्रयास किया गया। लेकिन एक साथ सवर्णों की उपेक्षा यहां के ब्राह्मण मतदाताओं को अटका था। लेकिन अपनी जुबान पर प्रतिबंध रखने वाले और अंतः वाहिनी वैचारिक महत्व” कमला मैया तरेतर” की भूमिका से वोट डालने वाले ब्राह्मण मतदाता मुखर होकर कुछ बोल नहीं पाए। जब भाजपा के साथ नीतीश गठबंधन की सरकार बनी तो यहां पर किसी भी प्रकार से ब्राह्मणों की वर्चस्व को दबाने का प्रयास किया गया।राज्य सरकार में दो उप मुख्यमंत्री बने वह दोनों पिछड़ी जाति से ही आए। इस बात पर भी भाजपा में गौर नहीं किया गया। वर्तमान परिपेक्ष्य में भाजपा के दिग्गज जमीनी कार्यकर्ताओं की अंतः वाणी सूक्त- वाक्य से ऐसा ही प्रतीत होना बताया जा रहा है।
वर्तमान समय में महागठबंधन सरकार को दबाने और उस पर अंकुश रखने के लिए विधानसभा में दबंग ब्राह्मण या भूमिहार बिरादरी के प्रतिनिधि को विरोधी दल का नेता बनाया जाना उचित मांग बताया गया है।महागठबंधन के नीतीश कुमार – तेजस्वी यादव की सरकार पर सशक्त विरोधी दल की भूमिका निभाने में अहम रोल अदा करना बताया है। मधुबनी- दरभंगा के भाजपा कार्यकर्ताओं एवं कद्दावर नेताओं द्वारा पोस्टकार्ड व मैसेज प्रेषण अभियान राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाना शुरू बताया गया है।
देखना है इस पर कितनी अमल भाजपा नेतृत्व करती है।ब्राह्मण- भूमिहार बिरादरी को विरोधी दल का नेता बनाने के मुद्दे पर किस प्रकार की विमर्श भाजपा शीर्ष नेतृत्व करती है।नफा -नुकसान की आकलन करने वाले यहां के समर्पित भाजपाई लोगों का विमर्श अभी इसी उधेरबून मंथन में तल्लीन बताया गया है।वैसे इस मुद्दे पर कोई भी जनप्रतिनिधि बयान देने से परहेज किया।