New Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को कहा कि उसने नोटबंदी के दौरान हुए बड़ी मात्रा में नकदी की हेराफेरी के मामले में सर्वोदय ट्रेडर्स की 8.05 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। नोटबंदी से पहले और उस दौरान जीबी रोड शाखा, बैंक ऑफ इंडिया से गया और बिहार में कुछ खातों में भारी नकदी जमा की गई थी। इसका पता वित्तीय खुफिया एजेंसियों को लगा, जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई।
कुर्क की गई ये संपत्तियां सर्वोदय ट्रेडर्स के धीरज जैन, उनकी पत्नी रिंकी जैन और उनकी फर्म के नाम हैं। इससे पहले ईडी ने मामले में 14.44 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी। ताजा कुर्की के साथ इस मामले में कुर्की की कुल कीमत अब 22.49 करोड़ रुपये हो गई है।
ईडी के अधिकारी ने कहा कि बिहार के गया में सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर नोटबंदी की अवधि के दौरान पीएमएलए के तहत जांच शुरू की गई थी। जांच के दौरान, यह पाया गया कि गया के एक व्यापारी मोतीलाल ने बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता शशि कुमार, राजेश कुमार, उनकी फर्मो, भाइयों के अलावा रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम पर बैंक खातों का दुरुपयोग किया।
अधिकारी ने बताया, “इन बैंक खातों में अवैध रूप से 44.80 करोड़ रुपये की नकदी जमा की गई थी, जिसे खाताधारकों की जानकारी और सहमति के बिना व्यक्तियों/फर्मो/संस्थाओं के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
सीबीआई अधिकारी ने बताया कि मोतीलाल ने जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 की अवधि के दौरान धीरज जैन, गया के दोनों व्यवसायी पवन कुमार जैन और दिल्ली के दलाल बिमल जैन के निर्देश पर दस्तावेज जारी किए।
ईडी के अधिकारी ने कहा कि 34.75 करोड़ रुपये बाद में दिल्ली में स्थित फर्जी और गैर-मौजूद फर्मो के बैंक खातों में भेजे गए थे।
8.05 करोड़ रुपये के तत्काल कुर्की आदेश में 7.48 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और 57.14 लाख रुपये की चल संपत्ति (उनकी फर्मो के नाम पर और दिल्ली की कुछ फर्जी फर्मो के नाम पर) शामिल हैं। मामले में आगे की जांच की जा रही है।