नगांव (असम): राज्य में आए दिन जंगली हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं देखने को मिलती है, जिसमें कई बार इंसानों की जान चली जाती है। जबकि जंगली हाथियों की भी मौत हो जाती है। इसके मद्देनजर कुछ वन्य जीव प्रेमी हाथी और इंसानों के बीच होने वाले संघर्ष को रोकने के लिए काम करने में जुटे हैं।
ऐसा ही एक प्रयास नगांव-कार्बी आंग्लांग जिला के सीमावर्ती हातीखुली रंगहांग गांव में हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष के बदले इन दिनों एक अलग दृश्य देखने को मिल रहा है। इस संघर्ष को रोकने के उद्देश्य से इलाके के पहाड़ पर जंगली हाथियों के प्रिय खाद्य सामग्री की भरपूर व्यवस्था की गयी है। ताकि हाथी जंगल से निकलकर भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में न आएं। इस कदम को एक तरह से जंगली हाथियों के लिए रेस्टोरेंट (restaurant for wild elephants) का भी नाम दिया जा सकता है।
अब रिहायशी इलाके में नहीं आ रहे हाथी
हाथी बंधू नामक एक संगठन ने गुवाहाटी के विशिष्ट व्यक्ति प्रदीप भुइंया के सौजन्य और सापानाला के प्रकृति प्रेमी युवक विनोद दुलु बोरा, मेघ्ना मयूर हजारिका के प्रयास से हातीखुली रंगहांग के निवासियों के सहयोग से खाली पहाड़ पर लगभग 400 बीघा भूमि पर हाथी के प्रिय भोजन को उगाया गया है। ऐसे में जंगली हाथी अब पहाड़ तक आते हैं और वापस लौट जाते हैं। इससे यह फायदा हुआ है कि जंगली हाथी अब रिहायशी इलाके में नहीं आ रहे हैं जिसके चलते जंगली हाथी और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति में काफी कमी आ गयी है। इस कदम से ग्रामीण इलाके के लोग बेहद प्रसन्न हैं।
हाथी बंधू नामक संगठन कर रहा काम
उल्लेखनीय है कि हाथी बंधू नामक संगठन गत तीन वर्ष से इस कार्य को अंजाम देने में जुटा हुआ है। हाथी बंधू के द्वारा नगांव-कार्बी आंग्लांग के सीमावर्ती हातीखुली रंगहांग गांव के पास पहाड़ में हाथियों के लिए विभिन्न खाद्य सामग्री की खेती करने के साथ ही 200 बीघा भूमि पर शाली धान की खेती भी की जा रही है, जिसका परिणाम अब दिखाई देने लगा है। इस बार भी 200 बीघा जमीन पर शाली धान की खेती करने की हाथी बंधू ने तैयारी शुरू कर दिया है।