इस्लामाबाद/ बीजिंग: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की रवानगी के साथ ही तालिबान आतंकियों का सिर उठाना अब पड़ोसी देश पाकिस्तान पर भारी पड़ने लगा है। इस दौरान स्थानीय विद्रोही गुट भी सिर उठाने लगे हैं। ये सीमा पर सैनिकों को निशाना बनाने और अंदरूनी इलाकों में सक्रिय होने के अलावा पाकिस्तान में चीन के सहयोग से चल रहे विकास कार्यों व ग्वादर में आर्थिक गलियारे का विरोध करना शुरू कर दिया है। पिछले 24 घंटे में वजीरिस्तान के निकट तीन पाक सैनिक आतंकी हमले का शिकार हो गए।
जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान को ताकत मिलते ही पाकिस्तान में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) सहित कुछ विद्रोही दल फिर तेजी से सिर उठा रहे हैं। ये विद्रोही खैबर पख्तनूख्वा प्रांत के आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उनका बाकायदा वहां कब्जा है। तालिबान के खास टीटीपी प्रमुख नूर बली महसूद ने रणनीति के तहत अपने लड़ाकों की तैनाती नए सिरे से शुरू कर दी है। ये पाकिस्तान के उन सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हैं, जहां पाक के सुरक्षा बल कमजोर स्थिति में हैं।
इधर, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर बलूचों के हमले भी तेज हो गए हैं। चार बलूच विद्रोही दल बलूच राजी आजोई संगर के नियंत्रण में काम कर रहे हैं। ये पाक में ग्वादर पर चीन की योजना का विरोध कर रहे हैं। यहां चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर काम हो रहा है। इस परियोजना के लिए बलूच अब बड़ा खतरा बन गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की निगरानी रिपोर्ट के अनुसार टीटीपी के पांच हजार आतंकी केवल अफगानिस्तान में ही हैं। इससे बहुत ज्यादा पाकिस्तान में फैले हुए हैं।