कोलकाता।
27 मार्च से पश्चिम बंगाल में चुनाव शुरू हो जायेगा। विभिन्न राजनीतिक दल दिन रात एक करके अपना-अपना मैदान बनाने में लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस, वाममोर्चा व कांग्रेस गठबंधन, भारतीय जनता पार्टी ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। सभी प्रत्याशी अपने-अपने इलाके में अपनी पहचान को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन इन सभी राजनीतिक गतिविधियों के बीच एक सवाल ये भी उठ रहा कि आखिर ऑल इंडिया मजलिस -ए – इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा क्यों नहीं की है?
अब तक एआईएमआईएम इस चुनाव में काफी चर्चा में रही। लेकिन अब इस पार्टी की चर्चा इस मामले में होने लगी है कि ऐसी क्या बात हो गयी है कि ओवैसी ने अपनी किसी भी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। जबकि इस चुनाव में समीकरण को अपने हाथों में लेने का पूरा ढिंढोरा ओवैसी ने पीटा है।
हालांकि पहले चरण के चुनाव में अब महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं। इतने कम समय में न तो उम्मीदवारों की घोषणा की जा सकती है न ही इन सीटों पर चुनाव लड़ा जा सकता है। हां उम्मीदवारों की घोषणा तीसरे व चौथे चरण के चुनाव के लिए किया जा सकता है।
पहले चुनाव के लिए नामांकन शुरू होने से पहले तक या नामांकन होने तक भी एआईएमआईएम पार्टी के राज्य नेतृत्व ने राष्ट्रीय नेतृत्व को उम्मीदवारों की सूची नहीं भेजी।
राजनीतिक गलियारे में एक बात की चर्चा गरम है कि आखिर क्यों यह पार्टी ऐन मौके पर चुप्पी साधे हुए है?
चर्चा का बाजार यह है कि कहीं पार्टी पश्चिम बंगाल से अपना हाथ खींच तो नहीं रही। हालांकि अभी तक ओवैसी ने आधिकारिक रूप से इस तरह का कोई ऐलान तो नहीं किया है लेकिन संशय बरकरार रखा है।
वहीं, पश्चिम बंगाल में एआईएमआईएम के कार्यवाहक जमीरूल हसन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले 26 फरवरी को मटियाब्रुज में होने वाली जनसभा रद्द होने के बाद 08 मार्च को ओवैसी की कोलकाता में जनसभा आयोजित होने की खबर थी, लेकिन यह जनसभा भी नहीं हुई। पार्टी की ओर से कहा गया था कि मुर्शिदाबाद जिले के पिछड़े इलाकों से 22 सीटों में से 13 सीटों के लिए एआईएमआईएम अपना उम्मीदवार उतारेगी। खबर थी कि जनसभाओं में ओवैसी 13 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेंगे, जो अब तक नहीं हो सका। इस स्थिति को देखते हुए राजनैतिक दलों में कई तरह की अटकलें लग रही हैं।