बोकारो।
बोकारो जिला के सुरक्षित चन्दनकियारी विधानसभा सीट पर राज्य के खेल एवं भू-राजस्व मंत्री अमर कुमार बाउरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
16 दिसम्बर को इस सीट पर होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने झारखण्ड विकास मोर्चा के टिकट से चुनाव जीता था , लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे मोर्चा के अन्य पांच विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गये थे । इस बार झारखण्ड विकास मोर्चा ने रोहित कुमार दास को अपना उम्मीदवार बनाया है । इस सीट पर अमर बाउरी का मुकाबला एक बार फिर आजसू के उमाकान्त रजक से है । 2014 में यह सीट अमर बाउरी ने उमाकान्त रजक से छीन ली थी। जबकि 2009 के चुनाव में उमाकान्त रजक ने झारखण्ड विकास मोर्चा के अमर बाउरी को पराजित कर इस सीट पर जीत दर्ज की थी । उमाकान्त रजक इस बार भी आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि अमर बाउरी भाजपा के टिकट से उम्मीदवार हैं ।
दीगर, बात यह है कि उमाकान्त रजक के पुत्र मुकेश कांत भी निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में कूद गये हैं । उमाकान्त रजक का कहना है कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है ।
गठबंधन की ओर से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने विजय रजवार को अपना उम्मीदवार बनाया है । विजय रजवार मोर्चा के वरिष्ठ नेता संतोष रजवार के पुत्र हैं । हालांकि, संतोष रजवार खुद इस टिकट के दावेदार थे और चन्दनकियारी इलाका में सक्रिय भी थे। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि मोर्चा उन्हें अपना उम्मीदवार बनायेगा, लेकिन टिकट उनके पुत्र को दे दिया गया । इन उम्मीदवारों के अलावा कई अन्य पार्टियों के और निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं ।
पिछले दो विधानसभा चुनावों पर अगर नजर डाले, तो इस सीट पर अमर कुमार बाउरी और उमाकान्त रजक के बीच ही मुकाबला होता रहा है ।2009 में उमाकान्त रजक जीते तो 2014 में अमर बाउरी ने जीत दर्ज की। 2005 के चुनाव में उमाकान्त रजक दूसरे और अमर बाउरी तीसरे स्थान पर थे । 2005 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हारू रजवार ने जीत दर्ज की थी ।
2019 के विधान सभा चुनाव में अमर बाउरी और उमाकान्त रजक के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है । अमर बाउरी की ओर से क्षेत्र में विकास करने का दावा किया जा रहा है जबकि उमाकान्त रजक का दावा है कि पिछले पांच सालों में क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ है । चन्दनकियारी एक कृषि प्रधान क्षेत्र । यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है । लेकिन सिंचाई की समुचित सुविधा नहीं होने की वजह से यहां के किसानों की हालत अच्छी नहीं है । क्षेत्र में बेरोजगारी और पलायन एक गम्भीर समस्या है । झारखण्ड अलग राज्य बनने के बाद यहां एक इस्पात का कारखाना इलेक्ट्रो स्टील लगा लेकिन यहां के नौजवानों को इस कारखाना से नियोजन की जितनी उम्मीद थी वह पूरी नहीं हुई । अब यह कारखाना भी वेदान्ता ग्रुप का हिस्सा बन चुका है । अमर बाउरी और उमाकान्त रजक के समर्थकों के बीच यह विवाद कायम है कि दोनों नेता कारखाना प्रबन्धन के खिलाफ लम्बे चौड़े आन्दोलन की बात तो करते रहे लेकिन नतीजा उम्मीद के विपरीत निकला ।
आरोप लगाया जाता है कि नेताओं ने प्रबन्धन के आगे घुटने टेक दिये। इस क्षेत्र के बेरोजगार बेरोजगारी का दंश झेलने के लिये मजबूर हैं। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि पिछले चुनाव में यहां के मतदाताओं ने झारखण्ड विकास मोर्चा के उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि चुना था, ऐसे में भाजपा के अमर बाउरी को क्या वैसा ही समर्थन मिल पायेगा । उमाकान्त रजक भले ही चन्दनकियारी की वजाय बोकारो के सेक्टर नौ में रहते हैं लेकिन उन्होंने चुनाव हारने के बाद भी चन्दनकियरी से अपनी दूरी नहीं बनायी और लगातार क्षेत्र में आन्दोलन करते रहे । हालांकि उनके विरोधियों द्वारा चुनाव में यह प्रचारित किया जा रहा है कि बोकारो में रहकर वे चन्दनकियारी की जनता की क्या सेवा कर सकेंगे ।
बहरहाल, 16 दिसम्बर को इस सीट पर होने वाले चुनाव में मतदाता जीत का ताज किससे सिर पर पहनाते हैं, यह 23 दिसम्बर को ही पता चलेगा। लेकिन, फिलहाल कहा जा सकता है कि यहां का चुनाव दिलचस्प और कांटे की टक्कर का होगा । चन्दनकियारी में कभी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का भी दबदबा रहा है । 2005 के विधान सभा चुनाव में जेएमएम के ही हारू रजवार ने यहां जीत दर्ज की थी । उसके बाद से जेएमएम यहां पिछड़ता रहा है ।इस बार उंट किस करवट बैठता है, इसका आंकलन करना आसान नहीं है ।