Ranchi: भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम (Indian senior women’s hockey team) ने जापान को 4-0 से हराकर वीमेंस एशियन हॉकी चैंपियनशिप (Women’s Asian Hockey Championship) का खिताब दूसरी बार अपने नाम किया है। रांची में आयोजित इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम की गौरवशाली जीत की पटकथा लिखने में झारखंड की दो प्लेयर सलीमा टेटे और संगीता स्टार बनकर उभरी हैं।
सलीमा टेटे को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट (Salima Tete named player of the tournament) घोषित किया गया, जबकि टूर्नामेंट में भारत की ओर से सर्वाधिक छह गोल करने का रिकॉर्ड संगीता कुमारी के नाम दर्ज हुआ, लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने के लिए इन स्टार बेटियों ने गरीबी और संघर्ष की पथरीली राहों (These star daughters braved the rocky path of poverty and struggle) पर लंबा सफर तय किया है।
सलीमा टेटे
सलीमा टेटे का परिवार सिमडेगा के बड़की छापर गांव में आज भी एक कच्चे मकान में रहता है। उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं। उनकी बेटी सलीमा ने जब गांव के मैदान में हॉकी खेलना शुरू किया था, तब उनके पास एक अदद हॉकी स्टिक भी नहीं थी। वह बांस की खपच्ची से बने स्टिक से खेलती थीं।
टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला ह़ॉकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेल रही थी, तब इस टीम में शामिल सलीमा टेटे के पैतृक घर में एक अदद टीवी तक नहीं था कि उनके घरवाले उन्हें खेलते हुए देख सकें। इसकी जानकारी जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई तो तत्काल उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया गया था।
सलीमा के हॉकी के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा ने बेंगलुरू से लेकर सिमडेगा तक दूसरों के घरों में बर्तन मांजने का काम किया। वह भी तब, जब अनिमा खुद एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं। उन्होंने अपनी बहनों के लिए पैसे जुटाने में अपना करियर कुर्बान कर दिया।
संगीता कुमारी
टूर्नामेंट में राइजिंग स्टार चुनी गईं संगीता कुमारी भी झारखंड के सिमडेगा जिले से बेहद कमजोर माली हालत वाले परिवार से आती हैं। सिमडेगा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर केरसई प्रखंड के करंगागुड़ी निवासी संगीता कुमारी का परिवार आज भी कच्चे मकान में रहता है। परिवार में मां-पिता के अलावा पांच बहनें और एक भाई है। थोड़ी बहुत खेती-बाड़ी और मजदूरी से घर का खर्च चलता है।
पिछले ही साल संगीता को तृतीय श्रेणी में रेलवे में नौकरी मिली है। अब इस नौकरी की बदौलत वह घर-परिवार का जरूरी खर्च और बहनों की पढ़ाई का खर्च उठा ले रही हैं। रेलवे की नौकरी का पहला वेतन जब उसे मिला था, तो वह अपने गांव के बच्चों के लिए हॉकी बॉल लेकर पहुंची थी।
संगीता के पिता रंजीत मांझी बताते हैं कि हॉकी को लेकर संगीता के दिल में बचपन से जुनून था। गांव की लड़कियों और अपनी बड़ी बहनों को हॉकी खेलता देख उसने भी जिद करके पहली बार बांस से बनायी गयी स्टिक के साथ हॉकी खेलना शुरू किया था। 2016 में पहली बार इंडिया के कैंप में उसका सेलेक्शन हुआ और इसी साल उसने स्पेन में आयोजित फाइव नेशन जूनियर महिला हॉकी टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। फिर 2016 में ही थाईलैंड में आयोजित अंडर 18 एशिया कप में भारतीय महिला टीम ने कांस्य पदक जीता था। भारत की ओर से इस प्रतियोगिता में कुल 14 गोल किये गये थे, जिसमें से 8 गोल अकेले संगीता के नाम थे।
रविवार की रात होम स्टेट के ग्राउंड पर वीमेंस एशियन हॉकी चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में भारत ने जैसे ही जापान के ऊपर शानदार जीत दर्ज की, स्टेडियम में मौजूद हजारों लोगों ने इन्हें सिर आंखों पर उठा लिया।(IANS)