देवघर।
कोरोना महामारी के कारण इस साल श्रावणी मेला का आयोजन देवघर में नहीं हुआ है। भले ही हर-हर महादेव के नारे से गुंजयमान रहने वाली देवनगरी में सन्नाटा पसरा हो। लेकिन, देव नगरी देवघर की हर कहानी निराली है। शिव के लिंग की स्थापना की बात हो या शिवगंगा की उत्पत्ति, सब निराली ही है।
शिवगंगा सरोवर की कथा भी कुछ ऐसी ही है । कहा जाता है कि रावण के मुष्टिका प्रहार से शिव गंगा की उत्पत्ति हुई है और ये पाताल गंगा है। यानी शिव गंगा के जल का महत्व उतना ही है। जितना गंगा जल का। भक्त जब सुलतानगंज से जल उठाकर देवघर पहुँचते हैं तो सबसे पहले इसी शिवगंगा में स्नान व संकल्प करा कर बाबा को जल अर्पण करने जाते हैं। शिवगंगा सरोवर के बारे में कहा जाता है कि इसका जल कभी नहीं सूखता है साथ ही यहां स्नान मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है।
रावण के मुष्टिका प्रहार से शिव गंगा की उत्पत्ति
पवित्र शिव गंगा सरोवर की कथा के मुताबिक रावण जब शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तब उसे लघुशंका का एहसास हुआ और जब लघु शंका के उपरांत उसे शुद्धि के लिए जल की जरुरत हुई तो उसे जल नहीं मिला। तब गुस्से में आकर उसने अपने मुष्टि का प्रहार कर जल की उत्पत्ति की थी । इसे ही शिव गंगा कहा जाता है।
105 किलोमीटर की सुल्तानगंज से देवघर की यात्रा कर जब कांवरिया शिव गंगा के तट पर पहुंचते हैं तो सबसे पहले यहाँ स्नान कर पूजा पाठ करते है। शिव भक्त पहले स्नान कर पुरोहितो से संकल्प करा कर मनोकामना मांगते है और उसके बाद ये बाबा दर्शन को जाते है।
देवताओं के बैद्य ने यहां किया स्नान
शिव गंगा सरोवर ठीक बाबा बैद्यनाथ मंदिर से 500 मीटर की दुरी पर स्थित है। इसकी एक और कहानी ये भी है कि देवताओ के बैद्य अश्वनी कुमार को भी जब एक भयानक शारीरिक बीमारी हो गई थी तब उन्होंने भी शिव गंगा में स्नान किया था और इनकी बीमारी खत्म हो गई थी। कहा जाता है कि ये जल पाताल गंगा से आई है। इसलिए इस जल का खास महत्व है। यहां स्नान मात्र से ही शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती है।
भक्त शिव गंगा के जल को गंगा जल की तरह ही इस्तेमाल करते है। भक्त बड़े ही श्रद्धा भाव से इस पवित्र जल से स्नान कर भोले को जल अर्पण करने जाते हैं। इस पवित्र शिव गंगा की पवित्रता जग जाहिर है। इसलिए शिव गंगा में स्नान करना पुण्य की भागीदारी के बराबर होती है। तभी तो भक्त जब बाबा धाम आते हैं तो यहाँ स्नान करना जरुरी समझते हैं।
शिवगंगा सरोवर का जल कभी नहीं सूखता है। लिहाजा, आज भी इसका काफी महत्व है । हालांकि, कोराना जैसी वैश्विक महामारी के बीच पिछले तीन महीनों से लॉक डाउन है। सावन माह में मेला नहीं लगने और धार्मिक स्थलों के बंद रहने के कारण भक्तों को यहां स्नान करने से रोकने के लिए चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी गई है। ताकि कोरोना संक्रमण के प्रसार का भय न हो। पुलिस बलों की तैनाती भी यहां पर कर दी गई है।
इस साल सावन माह में भक्त भले ही आस्था की डुबकी शिव गंगा में नहीं लगा रहे हो। लेकिन शिवगंगा सरोवर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सदियों पुराना है जो आज भी जीवंत है।