बांसवाड़ा: महिलाओं द्वारा भी जब अंतरिक्ष में अपना परचम लहराया है, उस समय में भी ऐसा माना जाता है कि महिलाएं कमजोर दिल की होती हैं। इसलिए उनको अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है लेकिन बांसवाड़ा की नानी देवी ने सभी परम्पराओं से परे जाकर अपनी माता लक्ष्मी देवी के सोमवार को मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार किया।
मृतका का कोई पुत्र नहीं होने से अंतिम संस्कार कौन कराए जैसी स्थिति पैदा हुई तो पुत्री नानी देवी ने आगे बढ़कर सभी संस्कार सम्पन्न कराए और एक मिसाल कायम की। बांसवाड़ा शहर के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में लक्ष्मीबाई का रविवार को बीमारी से निधन हो गया। उनके पुत्र नहीं होने पर पांच पुत्रियों मंजू, आशा, नानी, बापूजी और जूली ने अंतिम यात्रा के दौरान मां के पार्थिव शरीर को कंधा देने और दाह संस्कार की इच्छा व्यक्त की।
समाजजनों ने विचार विमर्श कर लड़कियों की इच्छा को स्वीकार करते हुए तीसरे नंबर की लड़की नानी ने सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार कागदी स्थित मोक्षधाम पहुंच कर अपनी मां का अंतिम संस्कार अन्य कार्यक्रम स्वयं ने सम्पादित किए। पुत्री द्वारा मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने पर समाजजनों और आसपास के लोगों ने एक अच्छा कदम बताया।