देवघर।
रविवार को देवघर परिसदन में नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेन्ट कारपोरेशन-सह- ओएसडी-नीति आयोग के उपाध्यक्ष अभिषेक चौधरी से चैम्बर प्रतिनिधि के रूप में फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आलोक मल्लिक और संजीत कुमार सिंह ने मुलाकात की।
जानकारी हो कि केन्द्र सरकार ने 2-3 वर्ष पूर्व झारखण्ड में एक डेडिकेटेड इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। जिसके लिए झारखण्ड सरकार को लगभग 1500 एकड़ जमीन की उपलब्धता के साथ प्रस्ताव भेजा जाना है। तत्कालीन सरकार द्वारा बरही और देवघर के लिए प्रस्ताव करने की तैयारी हुई थी। सरकार द्वारा बरही में उपलब्ध कराए जमीन के प्रस्ताव को एनआईसीडीसी द्वारा उपयुक्त नहीं पाकर अस्वीकृत किया जा चुका है। इसी सिलसिले में अभिषेक चौधरी देवघर में संभावनाओं और पोटेंशियल का पता लगाने आये थे।
चैम्बर ने उन्हें इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए यहां एनएच, रेल, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तथा साहिबगंज बंदरगाह कनेक्टिविटी, धार्मिक और पर्यटन के महत्व और यहां के व्यापक संभावनाओं के दृष्टिकोण से देवघर को सबसे उपयुक्त जगह बताया और मांग की कि यह कॉरिडोर देवघर-दुमका के आसपास ही बने। चैम्बर झारखण्ड सरकार के शीर्ष अधिकारियों तथा मुख्यमंत्री से भी वार्ता कर देवघर-दुमका के आसपास में ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजने की मांग करेगी तथा इसके लिये आवश्यक लगभग 1000 से 1500 एकड़ जमीन NICDC के लिये चिन्हित एवं अधिग्रहित करने की सलाह देगी।
फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आलोक मल्लिक और संजीत कुमार सिंह ने कहा कि संथाल परगना क्षेत्र में डेडिकेटेड इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के बनने से क्षेत्र के विकास और झारखण्ड में औद्योगीकरण का बड़ा रास्ता खुल जायेगा और संथाल परगना सहित पूरे झारखण्ड में बेरोजगारी का आलम दूर हो जाएगा और यहां से पलायन रुक जायेगा। न सिर्फ औद्योगिक बल्कि पर्यटन में भी झारखण्ड देश के अव्वल राज्यों में शुमार होने लगेगा। वर्तमान परिदृश्य में इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए झारखण्ड में देवघर-दुमका का क्षेत्र सर्वाधिक संभावनाओं से परिपूर्ण है।