पाकुड़।
पाकुड़ महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूरी पर स्थित भूईधरा गाॅव…. जहाॅ ग्रामीण 21वीं सदी में भी बासलोई नदी से पानी निकालने को विवश है.
बिडम्बना देखीये… एक ओर जहाॅ पूरे देश कोरोना वायरस के बचाव और रोकथाम के लिए सरकार गाईडलाइन जारी कर लोगो को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही है. वही भुईधरा के लोग नदी में किसी बर्तन से गड्ढा कर पानी निकाल कर पीने को मजबूर हो रहे है. इस गाॅव में लगभग 50 से अधिक परिवार अपना जीवनयापन करते है. गांव की कुल आबादी तकरीबन 200 है. 200 आबादी में पेयजल के लिए सिर्फ एक चापानल है वो भी तीन वर्षो से खराब पड़ा हैं।
ग्रामीण महिलाएं पेयजल संकट दूर करने के लिए एक किलोमीटर दूर पैदल चालकर बासलोई नदी पहुंचती है. फिर नदी का बीचों बीच घंटों प्रतीक्षा के बाद एक से दो बाल्टी पानी उठाकर घर ले जाती हैं । यह सिलसिला पिछले तीन वर्षों से जारी है, लेकिन अब तक किसी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि ने इस गांव के लोगों की सुधी नहीं ली. सिर्फ कागजो में ही पेयजल एवं स्वच्छता विभाग चलती है. बड़े-बड़े होडिंग और दीवार लेखन कर शुद्ध पेयजल पीने की अपील की जाती है. लेकिन हकिकत कैमरे में कैद तस्वीर कह रही है.
वहीं, जब महेशपुर के सहायक अभियंता को इसकी जानकारी दी गयी तो उन्होने जल्द चापानल ठीक करने का आश्वासन दिया और नदी के किनारे जीपीटी के तहत नये चापानल लगाने की बात कही.