देवघर।
एक छोटे स्तर के कलाकार के हैसीयत से समग्र प्रशासनिक पदाधिकारी, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से प्रार्थना करता हूं: हम कलाकारों का समस्या पर भी थोड़ा ध्यान दें।
पिछले 65 दिनों में खुद को, अपने समाज को एवं राष्ट्र को कोरोना से बचने का केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा जैसा निर्देश दिया गया , सभी का पालन किया। आपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा कार्य किया। सर्वोपरि लाॅकडाउन पिरीयड में सोशल माध्यम से दृश्य कला, संगीत, नृत्य, नाटक इत्यादि सभी क्षेत्र के अधिकांश कलाकारों ने लोगों को प्रेरित करता रहा।
हममें से कई कलाकार ऐसे हैं जो बच्चों को प्रशिक्षण देकर गुजारा करते हैं। कई जन केवल कला को विक्रय माध्यम से खर्च चलाते हैं। कुछ कलाकार प्रदर्शन के माध्यम से गुजर बसर करते हैं। पर वर्तमान परिस्थिति में सब ऐसे स्थिति में पहुँच गए हैं कि न किसी से मांग सकते हैं और न कोई हमें मदद के लिए आगे आया।
हम समाज के उस श्रेणी के नागरिक हैं जो समृद्ध समाज विज्ञापन के काम में आते हैं पर हमें केवल पुरस्कार और प्रणाम पत्र के अलावा कुछ नही मिलता। समाज को सजाने के लिए कलाकारों का उतना ही महत्वपूर्ण योगदान होता है जितना अन्य महत्वपूर्ण नागरिकों का होता है।
ये अभिव्यक्ति किसी पर दोषारोपण नही है, केवल एक दर्द भरा अहसास है। पिछले तीस वर्षों से देवघर शहर में अपने कला के माध्यम सभी वर्ग के लोगों के सम्पर्क में आया पर इस मुसीबत के घड़ी में बहुत ज्यादा असहाय महसूस कर रहा हूँ।