देवघर।
Covid-19 जिसके संक्रमण से पूरी दुनिया त्राहिमाम है. पूरी दुनिया में लाखों मौत हो चुकी है. देश में भी एक लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज़ मिले हैं और तीन हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है. झारखण्ड राज्य भी इस बीमारी से अछुता नहीं है. तेज़ी से संक्रमण इस राज्य में भी फ़ैल रहा है. झारखण्ड के देवघर जिले में भी कोरोना संक्रमित मरीज़ मिल चुके हैं. बावजूद इसके देवघर शहर में कोरोना संक्रमन के चेन को तोड़ने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी सामाजिक दुरी का माखौल बनता नज़र आया गुरुवार को .
Covid-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए Lockdown लागू है . Lockdown 4.0 के दौरान राज्य में कई छुट और रियायतें दी गयी हैं. जिसमे कुछ दुकानें नियमों का पालन कर खुल सकती हैं. ये छुट और रियायतें जनता की सहूलियत के लिए दी गयी है. लेकिन मिली इस सहुलियत में देवघरवासी कोरोना का खौफ ही भूल गये.
दिन गुरुवार, वक्त दोपहर का, जगह देवघर शहर का हार्टबीट टावर चौक , जहां का नज़ारा बिलकुल वैसा ही था जैसा कोरोना संकट से पहले हुआ करता था. मानो, LockDown में रियायतें न मिली हो, कि कोरोना का भी खात्मा हो गया हो .
दरअसल, गुरुवार को वट सावित्री व्रत है. महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए सोलह श्रृंगार कर विशेष पूजा करतीं हैं. जिसके लिए फल, फूल, पूजा सामग्री, श्रृंगार प्रसाधन की आवश्यकता होती है. ऐसे में देवघर के टावर चौक से लेकर शिक्षा सभा चौक तक सड़क के दोनों किनारे फुटपाथ पर दर्जनों दुकानें सजी रही. जहाँ खरीददारी को लेकर एक दुसरे को धक्का देते हुए बड़ी संख्या में महिला-पुरुष खरीददारी करने में मशगुल दिखे. भीड़ की बीच न जाने कितने साइकिल और मोटरसाइकिल भी मौजूद थे, जो जगह-जगह जाम की वजह बनते नज़र आये, और स्थिति भयावह बनती रही. इस दौरान न तो कोई सोशल डिसटेंसिंग का अनुपालन करता नज़र आया और न ही lockdown के नियमों का अनुपालन. इस स्थिति की गवाही खुद तस्वीरें दे रही है.
तस्वीरें एक और भी है, जो और भी हैरान करने वाली है . इस भीड़ के बीच आपको पुलिस की गाड़ी और पुलिस बल भी मौजूद दिखेंगे. लेकिन पुलिस बलों की मौजूदगी में सोशल डिस्टेंस का धज्जियां उड़ते देखा गया . लोगों को सामाजिक दूरी का अनुपालन कराने के बजाये पुलिस कर्मी बारिश के कारन खुद ही इधर-उधर भागते रहे. और भीड़ उनकी नज़रों से ओझल होती रही .
इन तस्वीरों को देख सवाल लाज़मी है. सवाल पहले तो आम जनता से कि क्या उन्हें खुद के जान की परवाह नहीं. बेशक, आप ज़रूरत के हिसाब से घरों से निकल सकतें हैं लेकिन पहले खुद को प्रोटेक्ट करें, सावधानी बरतें, सतर्क रहें . और दूसरा सवाल जिला व पुलिस प्रशासन से कि क्या उन्हें ये भीड़ नज़र नहीं आई. और नहीं आई तो क्यों?
ये वक्त बेहद नाज़ुक है.. रुकिए, संभलिये , और अलर्ट रहिये.