देवघर/मधुपुरः
मधुपुर खलासी मोहल्ला स्थित सहायक अभियंता कार्यालय परिसर में ब्रिटिश काल में स्थापित हुए फणीश्वर नाथ रेणु पुस्तकालय पाठकों के आस में विरान पड़ा हुआ है.
पुस्तकालय कक्ष में करीब डेढ हजार से अधिक फणीश्वर नाथ रेणु समेत अन्य सहित्यकारों द्वारा रचित साहित्य संग्रह, काव्य रचनाओं से जुड़ी पुस्तकें धुल फांक रही है तो सैकड़ों पुस्तकें रख-रखाव के अभाव में बर्बाद हो गई.
बताया जाता है कि पिछले कई वर्षों से पुस्तकालय भवन का ताला सिर्फ खानापूर्ति के लिए खोला जाता है. लेकिन पाठक की उपस्थिति नहीं होने के कारण साहित्य संग्रह सीमट कर रहा गया है. पुस्तकालय भवन में पाठकों के लिए मेज तो है पर बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं है. कक्ष में अंग्रेजों द्वारा बनाये गये लंबी मेज, अलमीरा भी है जिनमें धूल की परत जम गयी है.
इस संबंध में सहायक अभियंता संतोष कुमार गुप्ता बतातें हैं कि प्रतिदिन निर्धारित समय पर पुस्तकालय खोला जाता है. लेकिन रेल कर्मचारियों समेत उनके परिजन व बच्चों का आना -जाना पुस्तकालय में नहीं होता है. इसके लिए प्रचार-प्रसार की जा रही है. उन्होंने रेल कर्मचारियों से अनुरोध करते हुए कहा कि फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित साहित्य संग्रह लोगों के जीवन शैली के लिए सार्थक रूप से प्रभावित कर सकता है. जरूरत है हमें इस पर ध्यान देने की.
विभाग को नहीं पता कब स्थापित हुआ था पुस्तकालय:
फणीश्वर नाथ रेणु पुस्तकालय रेलवे के अधीनस्थ है. वहीं, एक सवाल पर सहायक अभियंता संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि पुस्तकालय की स्थापना से संबंधित कोई भी ब्यौरा कार्यालय में नहीं है. आसनसोल रेल प्रमंडल कार्यालय से उपलब्ध कराया जा सकता है. दुर्भाग्य की बात है कि शुक्रवार को फणीश्वर नाथ रेणु जैसे साहित्यकार का रेल प्रमंडल आसनसोल द्वारा स्मृति दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है. लेकिन उनके रचित संग्रहालयों की उपेक्षा रेल के कर्मचारी द्वारा की जा रहा है.