देवघर:
देवघर से टेंडर में फर्ज़ीवाड़े का एक चौकाने वाला वाक्या सामने आया है. हालाँकि तरह-तरह के गड़बड़ घोटाले के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन यह मामला थोड़ा अलग है.
डिज़िटल हो रहे ज़माने में सभी विभागों के साथ-साथ सरकार ने टेंडर प्रक्रिया को भी अॉनलाइन कर दिया है. शायद, आये दिन टेंडर के खेल में हो रहे फर्ज़ीवाड़े पर रोक लगाना सरकार का मकसद रहा होगा। लेकिन सरकार और उसके अधिकारी डाल-डाल तो फर्जीवाड़ा करने वाले पात-पात…
फर्ज़ीवाड़े का यह ताजा मामला देवघर पीडब्ल्यूडी के टेंडर में सामने आया है. जहां, एक दो या तीन दिन या महीनो से नहीं बल्कि तीन सालों से फर्जीवाड़ा होने की शिकायत की गयी है. दरअसल, विभाग ने मधुपुर-बेंगाबाद-गिरिडीह पथ के लिए लगभग एक करोड़ की लागत से मरम्मत कार्य का टेंडर निकाला था. जिसमें कई संवेदकों ने अपना टेंडर फार्म भरा. इसी में मेसर्स अमर इंजिकॉन एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी ने भी टेंडर भरा.
अब दिलचस्प वाक्या यह है कि मेसर्स अमर इंजिकॉन एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी ने मेसर्स सिन्हा कंस्ट्रक्शन के प्लांट और मशीनरी के कागजात को जमा किया। जिसकी भनक मेसर्स सिन्हा कंस्ट्रक्शन को काफी बाद में लगी. जिसके बाद सिन्हा कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर अवाक रह गए. उन्होंने कहा कि उनके कागज़ातों का अवैध तरीके से उपयोग किया. गया है. इसकी शिकायत सिन्हा कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर अनिरुद्ध सिन्हा ने सभी विभागीय उच्चाधिकारियों से की है और कार्रवाई की मांग की है.
जांच की मांग:
इस संबंध में सिन्हा कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर ने पीडब्ल्यूडी के अभियंता प्रमुख, एनएच के अधीक्षण अभियंता, विभागीय सचिव व देवघर कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखकर कहा है कि टेंडर में मेसर्स अमर इंजिकॉन एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी ने जिस प्लांट का कागजात लगाया है, वह अवैध है. उन्होंने मेसर्स अमर इंजिकॉन एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी से किसी भी तरह का एकरानामा नहीं किया है. फर्जी तरीके से उनके प्लांट का कागजात बनाकर टेंडर में उक्त कंपनी द्वारा लगाया गया है. जो अवैध है. श्री सिन्हा ने यह भी आशंका जाहिर किया है पहले भी ये लोग ऐसा करते रहे होंगे. उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी उन्हें मिली है कि पिछले 3 सालों से उनके कागज़ातों का दुरुपयोग होता रहा है. विभाग इसकी जांच करवाये और दोषी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे.
आरोप गलत:
इस बारे में मेसर्स अमर इंजिकॉन एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर गोपाल कुमार वर्मा से बातचीत करने की कोशिश की गयी. फ़ोन कॉल गोपाल वर्मा के भाई ने उठाया तो सारे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि दोनों कंपनियों के बिच एग्रीमेंट साईन हुआ है. हालाँकि, अग्रीमेंट का ज़ेरॉक्स मांगे जाने पर उन्होंने कुछ बोलना ज़रूरी नहीं समझा।
कार्यपालक अभियंता ने कहा:
इधर, कार्यपालक अभियंता ने कहा कि टेंडर में अवैध रूप से कागजात लगाने की शिकायत सिन्हा कंस्टक्शन की ओर से मिली है. उन्होंने पूरे दस्तावेजों को मुख्यालय भेज दिया है. चूंकि टेंडर का निष्पादन अभियंता प्रमुख के कार्यालय से होना है, इसलिए इस मामले में कार्रवाई अभियंता प्रमुख के स्तर से हो