पाकुड़ः
जब हौंसला और कुछ कर गुज़रने का जुनून हो तो उम्र भी आड़े नहीं आता और कामयाबी जरूर मिलती है. ऐसी ही मिसाल पेश की है पाकुड़ जिले के महेशपुर में मोदीन अंसारी ने. जिन्होंने जइफी की इस उम्र में भी अपने जुनून को कम नहीं होने दिया है.
मोदिन अंसारी पेशे से किसान हैं. यह बुढ़े जरूर हो गये हैं लेकिन इनकी हिम्मत आज भी जवां है. तभी तो इनसे तरकीब सीखने दूर-दूर से युवा किसान भी पहुंच रहे हैं.
पाकुड़ जिले के महेशपुर में अपनी मेहनत के बल पर मोदिन अंसारी ने करीब 12 एकड़ बंजर और पथरीली ज़मीन को उपजाउ बना दिया है. जहां एक वक्त सिवाये पत्थर के कुछ नहीं दिखता था आज मक्के की फसल लहलहा रही है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जब कृषि विभाग के सहयोग से मोदिन अंसारी को मक्के का बीज मिला तो उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए पहाड़ी इलाके में स्थित 12 एकड़ बंजर पथरीली ज़मीन को अपनी मेहनत से खेती के लायक बना दिया. मक्के का बीज बोया, यहां-वहां से पानी लाकर खेत की सिंचाई की. जिसका परिणाम यह रहा कि आज पूरे खेत में मक्के की लगी फसल में दाने भी तैयार हो चुके हैं.
महेशपुर प्रखंड के अभुआ गांव में मोदिन अंसारी के इस काबिल-ए-तारिफ कारनामे की चर्चा चारों ओर हो रही है. आस-पास के गांव से लोग मोदिन अंसारी से मिलने पहुंच रहे हैं. किसान उनसे बंजर भूमि को उपजाउ बनाने की तरकीब सीख रहे हैं. वहीं कृषि विभाग ने भी मोदिन अंसारी को हर संभव मदद के साथ साथ प्रोत्साहन राशि देने की बात कही है. पाकुड़ जिला कृषि पदाधिकारी मिथलेश कुमार कहते हैं कि मोदिन अंसारी जैसे किसान सभी के प्रेरणास्त्रोत हैं.