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Sweet Corn Village: इस राज्य में कई गांव की पहचान बना ‘स्वीट कॉर्न’

सरकारें हमेशा से ही खेती को फायदे का धंधा बनाने के दावे करती रही है,गाहे-बगाहे इस दावे को सच साबित करने वाली तस्वीर भी सामने आती रहती है।

By: संदीप पौराणिक

Chhindwara: सरकारें हमेशा से ही खेती को फायदे का धंधा बनाने के दावे करती रही है,गाहे-बगाहे इस दावे को सच साबित करने वाली तस्वीर भी सामने आती रहती है। ऐसी ही तस्वीर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की छिंदवाड़ा जिले से सामने आई है ,यहाँ के कई गांव भी खेती की उजली तस्वीर पेश कर रहे है, इन गांव ने “स्वीट कार्न” (“Sweet Corn”) के उत्पादन के कारण अपनी नई पहचान बनाई है। इन गांव को “स्वीट कार्न विलेज” (“Sweet Corn Village”) के तौर पर पहचाना जाने लगा है।

छिंदवाड़ा वह जिला है जहां मक्का की पैदावार लगभग तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, मगर बीते सात-आठ साल में यहां के किसानों ने मीठा मक्का अर्थात स्वीट कार्न को अपनाया। इसके चलते बड़ा बदलाव आया है। कृषि विभाग के उप संचालक जितेंद्र कुमार सिंह बताते है कि परासिया विकासखंड के उमरेठ क्षेत्र के दस गांव के लगभग 500 किसान एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र में स्वीट कार्न की खेती कर रहे है। यह जागरुक और प्रगतिशील किसान है जो साल में तीन फसल आलू, तरबूज और स्वीट कार्न की फसल लेकर अच्छा खासा फायदा पा रहे है।

स्वीट कार्न विलेज के तौर पर खास पहचान बनाते गांव में से एक है बीजकवाड़ा। इस गांव में बड़ी संख्या में किसान देशी मक्का की खेती करते रहे है। इन किसानों को मुनाफा तो कम होता था और कई बार मौसम की मार के चलते बड़ा नुकसान हो जाता था। बीते लगभग एक दशक ने यहां के किसानों के खेती के तरीके के साथ आमदनी में बड़ा बदलाव लाया है।

बीजकवाड़ा की बात करें तो यहां वर्तमान मे 160 हेक्टेयर क्षेत्र में 36 किसान स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं, उनकी फसल सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी जा रही है। इस साल इन किसानों ने लगभग 2400 मीट्रिक टन स्वीट कॉर्न का उत्पादन किया, जिससे उन्हें तीन करोड़ 60 लाख रुपये की आय हुई है।

बीजकवाड़ा के बड़े किसान और गांव को नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले गुरु प्रसाद पवार कभी शिक्षक हुआ करते थे, मगर अब जागरुक और प्रगतिशील किसान के तौर पर पहचाने जाते है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 65 एकड़ क्षेत्र में खेती करते है, इसमें तीन फसल लेते है एक फसल स्वीट कार्न की है।

आखिर यह फसल की पैदावार कैसे शुरू हुई, इस पर पवार का कहना है कि वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग ने स्वीट कार्न की खेती के लिए प्रोत्साहित किया और अब उनकी आय पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ गई है। आसपास के कई गांव के किसान भी स्वीट कॉर्न की खेती करने लगे है।

गुरु प्रसाद पवार का कहना है कि वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा तो दिलाएंगे मगर नौकरी न कराने का इरादा है, इसकी वजह है क्योंकि खेती से उनकी इतनी आमदनी होगी जितना पैकेज कोई कंपनी उन्हें आसानी से नहीं देगी।

छवाड़ी कलां के किसान नारद पवार की जिंदगी में भी स्वीट कार्न की खेती ने बड़ा बदलाव लाया है। वे बताते है कि उनके पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में स्वीट कार्न की खेती होती है, वे पहले देशी मक्का की खेती करते थे, जिसमें उन्हें फायदा कम नुकसान ज्यादा होता था। स्वीट कार्न की खेती के लिए उन्होंने अपने स्तर पर प्रशिक्षण लिया और धीरे-धीरे इसे अपनाया, वर्तमान में 15 एकड़ में स्वीट कार्न की खेती कर रहे है, जिससे प्रति एकड़ 40 हजार रुपये शुद्ध मुनाफा हो जाता है।

छिंदवाड़ा के कई गांव में किसान इस फसल के प्रति आकर्षित हो रहे है क्योंकि इससे उनकी आमदनी बढ़ने के साथ जीवन शैली में भी बदलाव आ रहा हे। बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने में सफल हो रहे है तो वहीं अन्य जरुरतों को आसानी से पूरा कर पा रहे है।

(IANS)

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